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ईद उल फितर त्यौहार का है, बडा विशेष महत्व

 


चौधरी शौकत अली चेची

ईद उल फितर त्यौहार का बडा विशेष महत्व है। इस्लामिक कलेंडर के हिसाब से मोहर्रम का महीना 1 तारीख से नई साल मानी जाती है। चांद की तारीख के हिसाब से 1 साल के 356 दिन होते हैं 10 वां महीना ; शव्वाल होता है जिसकी 1 तारीख को; ईद उल फितर का त्यौहार माह-- रमजान में 29 या 30 रोजे रखने के बाद जब चांद दिखता है, मनाया जाता है। इस बार ईदुल फितर का त्यौहार जुमा अलविदा के दूसरे ही दिन 22 अप्रैल 2023 को मनाए जाने की पूरी संभावना है।

 इस्लाम धर्म के पांच अरकान यानी स्तंभ माने गए हैं जिनमें कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज आते हैं। कलमा मूल मंत्र है और जिसका का अर्थ होता है, कि नहीं है कोई माबूद पूजने योग्य सिवाय अल्लाह के अर्थात ईश्वर सर्वश्रेष्ठ है, ईश्वर के बगैर कोई भी उपासना के लिए लायक नही हैं। नमाज अल्लाह की इबादत होती है, प्रत्येक व्यक्ति जो कि बालिग है अर्थात किशारों पर भी नमाज जरूरी पाबंद है। एक दिन में पांच बार नमाज अदा की जाती है। रोजा रमजान के महीने पर हर व्यक्ति और बालिग पर फर्ज है। इसी प्रकार हज भी सभी ऐसे लोगों पर फर्ज है, जो अपने जरूरीयात कामों से निवृत्त हो गए हों तो खुदा की बारगाह में हाजिर हो जाएं, यानी हज बैतुल्लाह की जियारत और हज के अरकान पूरे होने पर हज मुक्कमल होता है। जकात अपनी कमाई में से एक निश्चित हिस्सा गरीबों को दान किया जाना जरूरी है।


जकात का अर्थ मोटेतौर से दान से होता है। ईदुल फितर का त्यौहार बडी खुशियों का वाला होता है। फितर का अर्थ है ऐसे गरीब लोग जो ईद की खुशी से महरूम है उन्हें आर्थिक तौर पर मद्द देकर यानी दान देकर ईद की खुशियों में शामिल कराना होता है। ईदुल फितर के मौके पर गरीब, मजलूमांं और बेसहारा लोगों को रूपये पैसे, कपडे, राशन, पकवान आदि देकर खुशियों मेंं शामिल कराते हैं। एकता  जागरूकता भाईचारा मानवता जिंदाबाद। करो सम्मान सभी का हर चमन में बहार जाएगी, जो दिल दुखाया किसी का बर्बादी की लकीर खींच जाएगी। हम सभी एक रहे तो तिरंगे के सामने दुनिया सर झुका आएगी, जिन्होंने खोया है अपनों को, क्या उनकी खुशियां लौट कर वापस आएगी, लकीरें मिट जाते हैं, बस यादें रह जाती हैं।

लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची किसान एकता संघ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।