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बडी खबरः---एफिलेशन एप्रूवल में पेच पैदा हो जाने से बीएएमएस के स्टूडेंटों का कैरियर बर्बाद होने के कगार पर

 


एफिलेशन एप्रूवल में पेच पैदा हो जाने से बीएएमएस के स्टूडेंटों का कैरियर बर्बाद होने के कगार पर-आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल की इस मनमानी के खिलाफ पैरेंटस भी परेशान हैं और डीएम से शिकायत किए जाने का बना रहे है, मन

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा के एक आयुवेर्दिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल के स्टूडेंट एफिलेशन एप्रूवल में पेच पैदा हो जाने से खासे पेशोपेश में पड गए हैं। इन बीएएमएस के स्टूडेंटों को अब कैरियर बर्बाद होने का डर सता रहा है। दूसरी ओर आयुवेर्दिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल की ओर से फीस जमा किए जाने का लगातार दवाब बनाया जा रहा है। आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल की इस मनमानी के खिलाफ पैरेंटस भी परेशान हैं और डीएम से शिकायत किए जाने का मन बना रहे हैं। एजुकेशन हब ग्रेटर नोएडा में यह आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्टिल हाल में शुरू हुआ है। पहले यहां इंजिनियरिंग एंड मैनेजमेंट की पढाई होती थी, अब यहां आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्टिल भी चलाया जा रहा है। सीएसएस यूनिवर्सिटी मेरठ यहां आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्टिल में एग्जाम का जिम्मा संभालती है। जब कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा यहां अप्रूवल दिए जाने की बात स्टूडेंंटों को बताई गई है। वर्ष 2020 में इस आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में 60 बच्चों के बीएएमएस में दाखिल कर लिए गए। जब कि कुल सीटों का अप्रूवल सिर्फ 30 ही रहा था। स्टूडेंटों को उस समय बताया गया था कि एफिलेशन का मामला कोर्ट में पेंडिंग है जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। एक पैरेंट्स ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर ’’विजन लाइव’’ को बताया कि ग्रेटर नोएडा शहर के इस आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में बेटी का दाखिला बीएएमएस में कराया था। उस समय एफिलेशन की बावत बताया गया था कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कुछ ऑबजेक्शन, मामला कोर्ट पेंडिंग है जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।


तब से हर वर्ष फीस जमा करवाई जा रही है, सीसीएस यूनिवर्सिटी हर वर्ष एग्जाम तो करवाती है मगर, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के द्वारा एफिलेशन कोर्ट में पेंडिंग के सवाल पर टालमटोल का रवैया अपनाया जा रहा है और कोई भी संतोषजनक जवाब नही दिया जा रहा हैं। पैरेंट्स ने यह भी बताया कि पहली साल में 3 लाख 14 हजार, दूसरी साल में 2 लाख 54 हजार रूपये फीस के रूप में जमा करवा लिए गए और अब फिर तीसरी साल में 2 लाख 45 हजार रूपये जमा किए जाने का दवाब बनाया जा रहा है। स्टूडेंट जब मेडिकल कॉलेज में अपनी बात कहते हैं तो उन्हें कॉलेज रैस्टीकेट किए जाने के लिए धमकाया जाता है। पैरेंट्स इस मामले में अब लामंबद होने लगे हैं और डीएम से शिकायत किए जाने का मन बनाया जा रहा है।