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जूरल कॉन्क्लेव एवं ग्लोबल मूट कोर्ट प्रतियोगिता के अंतरष्ट्रीय राउंड का उद्घाटन

कार्यक्रम के  उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी थे, अन्य सम्माननीय अतिथि भारत के महान्यायवादी  आर. वेंकटरमणि थे जब कि अन्य अतिथि गौतमबुध कमिश्नर लक्ष्मी सिंह रही
विजन लाइव/ ग्रेटर नोएडा
लॉयड लॉ कॉलेज में १५ फरवरी से १९ फरवरी तक ,प्रो. एन.आर. माधव मेनन ग्लोबल जूरल कॉन्क्लेव एवं ग्लोबल मूट कोर्ट प्रतियोगिता के अंतरष्ट्रीय राउंड का उद्घाटन हुआ.कार्यक्रम में सभी प्रतिभागी श्रीलंका, नेपाल ,म्यांमार ,भूटान ,मालदीव, बांग्लादेश , नाइजीरिया ,अफ्रीका,आदि देशों से पधारे . कार्यक्रम में देश- विदेश के न्यायाधीश, वकील, शिक्षक और कानून के छात्र आए । कॉन्क्लेव चार दिनों के माध्यम से अपने प्रतिभागियों को एक-एक  वाद-विवाद में शामिल कर रहा है.  कॉन्क्लेव का विषय "संकट में स्वतंत्रता और अधिकार की गतिशीलता" था .
अगले दिन होने वाली न्यायिक संगोष्ठी का विषय  "प्रबंधन और न्याय वितरण: तुलनात्मक परिप्रेक्ष्"  था .
कार्यक्रम के  उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी थे, अन्य सम्माननीय अतिथि भारत के महान्यायवादी  आर. वेंकटरमणि थे जब कि अन्य अतिथि गौतमबुध कमिश्नर लक्ष्मी सिंह रही। न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने एक व्यक्तिगत किस्सा साझा करते हुए अपने शिक्षक के बारे में बताया कि शिक्षक और उनका सम्मान एक छात्र के जीवन में कितना महत्वपूर्ण है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि छात्र किस स्थिति में पहुंचा है।  आज के समय में लॉ कोर्स छात्रों के सपने के साथ एक विकल्प है।।उन्होंने कहा कि कानून का उद्देश्य न्याय प्रदान करना है, और न्याय उसी के अनुसार दिया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि कानून के अध्ययन और अनुप्रयोग के लिए सोच और विचार की आवश्यकता है.बाद में एक बेहतर वकील बनने के लिए इसकी प्रक्रिया अभी से शुरू करनी होगी. आइंस्टीन को उद्धृत करते हुए कहा की "अंतर्ज्ञानी मन एक पवित्र उपहार है और तर्कसंगत मन एक वफादार नौकर है"।।आगे न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने तुर्की और सीरिया में हाल ही में आए भूकंप के बारे में बात करते हुए कहा कि आपदाएं सीमाओं से परे हैं और "हमें अन्य  वैश्विक समुदाय की तरह आपदा आने की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए बल्कि उससे सुलझाने के पहले से ही उपाय कर लेने चाहिए ., जितनी जल्दी हम एक साथ आते हैं उतना ही बेहतर हम 'वैश्विक समस्याओं' को संभाल सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि श्री आर. वेंकटरमणि ने कहा कि  कानून का मूल शांति प्रदान करना है, कानून में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, "मानव मन शांति है. प्यार करना लेकिन संघर्ष का हिस्सा हो सकता है और न्याय प्रदान करना कानून का कर्तव्य है ”। उन्होंने कहा कि १९३० के बाद का समय और अब का समय अलग है। कानून के छात्र होने के नाते हमें इस पर विचार करना होगा ।एक 'उन्नत परिप्रेक्ष्य' जहां व्यक्ति को शांति और न्याय की प्राप्ति की दिशा में काम करना चाहिए। कार्यक्रम में प्रोफेसर डॉ. एस. शिवकुमार, वरिष्ठ प्रोफेसर, आईएलआई, की उपस्थिति भी देखी गई।मिलाट के अध्यक्ष और ग्लोबल ज्यूरल कॉन्क्लेव के प्रशासक मनोहर थिरानी।अध्यक्ष, लॉयड लॉ कॉलेज, सह-अध्यक्ष ग्लोबल ज्यूरल कॉन्क्लेव डॉ. मोहम्मद सलीम, वरिष्ठ निदेशक और डीन, लॉयड लॉ कॉलेज और लॉयड स्कूल ऑफ लॉ, जनरल समन्वयक, ग्लोबलजूरल कॉन्क्लेव, डॉ अखिलेश कुमार खान, निदेशक, प्रशासन और प्रवेश, लॉयड लॉ कॉलेज  उपस्थित रहे।