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भाजपा सरकार आर्थिक मोर्चे पर विफल साबित

चौधरी शौकत अली चेची
 नेताओं के बच्चे नेता विधायक सांसद राज्य सभा सदस्य विधान परिषद सदस्य, मंत्री ही बनते हैं। सरकारी स्कूल गरीब और आम लोगों के लिए हैं नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं। सरकारी अस्पताल खुद बीमार बने हुए हैं जिनमें गरीब और आम लोगों का इलाज भी मश्किल होता है। नेताओं का और इनके बच्चों का इलाज विदेशों के महंगे अस्पतालों में होता है। नेता अपने बच्चों को कभी किसी धर्म की चासनी में नहीं डुबोते, जबकि अपनी खुशी की खातिर गरीब और आम लोगों को भड़का कर धर्म और नफरत की आग में झुलसने के लिए छोड़ देते हैं।
समझिए कि राजस्थान की अदालत परिसर पर भगवा झंडा फहराने से लेकर, बाबरी के गुम्बद तक चढ़े और मर रहे, गिरफ्तार हो रहे, जेलों में सजा काट रहे हैं लाठी-गोली खा रहे नौजवानों में नेताओं के परिवार से कौन था? बुद्धिहीन आम इंसान अपने बच्चों को इनके और इनकी विचारधारा के हाथों इस्तेमाल होने दे रहे हैं। थोड़ा दिमाग लगाइए, ये सिर्फ यूज़ एंड थ्रो की राजनीति है साहब। अपने बच्चों को और अपने आप को इस जहर की खेती से बचाइये.। बीजेपी की दिल्ली में हुई कार्यकारिणी की बैठक में 9 राज्यों के चुनाव में धर्म की चासनी 5 किलो राशन और लाभार्थी कार्ड की रेवड़ी पर जीत की रणनीति बनी है। मोदी सरकार के 8 साल के राज में यही 3 उपलब्धियां बची है। लोगों के जेब से निकलकर बैंकों में जमा हुए 12 से 14 लाख करोड़ उन कंपनियों पर लुटा दिए  मोदी सरकार ने इन्हीं कंपनियों के लोन माफ कर फायदा पहुंचाया। साढे  ₹66 लाख करोड़ के एनपीए बट्टे खाते के बोझ तले सारे बैंक जोशीमठ बन गए कोई बैंक का जीएमटीडी या सीएमडी ऐसा मिलेगा जिसने राजनीतिक दबाव में किसी कारोबारी को कर्ज में बांटा हो और वह भी सारे नियमों को ताक पर  रखकर वर्ल्ड के किसी भी देश में लोन का 1-2 प्रतिशत ही एनपीए होता है लेकिन मोदी सरकार ने पूरी चालाकी से 8% से ज्यादा बढ़ाया रूस में एनपीए का अनुपात 8.3 प्रतिशत  मोदी जी को 2014 में  कारपोरेट ने पीएम की कुर्सी पर बिठाया तब बैंकों का एनपीए 4.1 प्रतिशत था  मार्च 2018 में 11.46% हो गया मोदी सरकार के 7 साल में एनपीए 12. 17% तक गया 91 करोड़ गरीब लोगों के देश में लोन अरबपति  लोगों की संपत्ति  बेतहाशा बढ़ी और मोदी 2019 में पैसे के दम पर दोबारा कुर्सी पर बैठे मगर 2022 तक आते-आते बैंकों का एनपीए 5.9% हो गया। आईटी सेल के इशारे पर गोदी मीडिया मोदी नाम का डंका पीटने लगा। 29 दिसंबर 2022 को आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट को देश की पालतू  मीडिया भूल गई जिनमें एनपीए  बढ़कर 9.4% होने की आशंका जताई गई । नरेंद्र मोदी सरकार आदतन एक और बड़ा तमाशा करेगी और 25 हजार करोड रु मध्य व्रत की बचत से मैं फिर से 12- 14 लाख करोड़ लोन खाने वालों पर लुटा देगी।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 4r की बात तो कह गई लेकिन जोशीमठ की तरह देश के बैंकिंग सिस्टम में आ जुकी दरारों को छुपा दिया । इसीलिए रुपया कमजोर नहीं डॉलर मजबूत हो रहा है 83 को पार कर गया सोना ₹55 हजार पहुंच गया यूपीए-2 के कार्यकाल में भारत की बैंक सालाना 35-50 करोड़ रुपए का मुनाफा कमा लेती थी लेकिन मोदी राज में 2015 से 2020 तक सालाना 2 लाख करोड रुपए के घाटे में इसीलिए देश पर लगभग 155 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेकिन मोदी जी ने अपनी नीतियों में कारपोरेट से दोस्ती कभी नहीं छुपाई यूपीए-2 में देश की जीडीपी का 3.34 प्रतिशत हिस्सा कारपोरेट टैक्स से आता था जो मोदी  राज में 2.3% हो गया वित्त मंत्री न सच को क्यों छुपाया तभी बजट से पहले जारी होने वाली जीडीपी फरवरी अंत में बताई जाएगी साफ तौर पर बड़ा घोटाला है 12 लाख करोड़ कई राज्यों के बजट या फिर 2019-20 के और सख्त जीएसटी संग्रह के बराबर रकम है   देश की न्याय व्यवस्था एवं लोकतंत्र का कोई भी खंभा इस सच को हजम नहीं कर पाएगा ।
ऑक्सफैम इंटरनेशनल रिपोर्ट इन वर्ल्ड इकोनामिक फॉर्म दावोस भारत 40% से ज्यादा संपत्ति पर 1% अमीर लोगों का कब्जा तथा  50% आबादी के पास सिर्फ संपत्ति 3% है और 64% टैक्स कम आय वाले 50% लोगों ने भरा इंग्लैंड के दावत में हो रही वर्ल्ड इकोनामिक फोरम(wef) की सालाना बैठक के पहले दिन पेश की रिपोर्ट में  आर्थिक और गैर बराबरी को कम करने के लिए बजट में उपाय किए जाने की मांग भी की है । आस्थान की रिपोर्ट अनुसार  देश में कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर नवंबर 2022 के दौरान देश के अरबपतियों की दौलत में 121% का इजाफा हुआ जो संपत्ति हर दिन 3,608 करोड रुपए बढी है आस्थान के मुताबिक देश में कुल अरबपतियों की संख्या 20 20 में 102 थी जो 2022 में  बढ़कर 166 हो चुकी है भारत के 100 सबसे रईस लोगों की दौलत बढ़कर करीब 54.12 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है यह रकम भारत सरकार के पूरे बजट को डेढ़ साल से ज्यादा वक्त तक पेंट करने के लिए काफी है टैक्स कलेक्शन में अरबपतियों का बेहद कम योगदान रिपोर्ट को पेश करते हुए आस्थान इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहतर ने कहा देश में हाशिए पर मौजूद दलितों आदिवासियों मुस्लिम महिलाओं और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को लगातार एक ऐसे सिस्टम की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जो वह सबसे अमीर लोगों के पक्ष में झुका हुआ है गरीब लोग अपनी आमदनी की तुलना में कहीं ज्यादा टैक्स चुका रहे हैं और अमीरों की तुलना में उन्हें जरूरी चीजें और सेवाओं पर भी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है अकरम ने कहा है कि देश भर में कराए गए एक सर्वे से पता चला है कि भारत के 80% से ज्यादा लोग अमीरों और कोविड-19 महामारी के दौरान रिकॉर्ड तोड़ मुनाफा कमाने वाली कंपनियों पर टैक्स लगाए जाने के पक्ष में है   f5 इंडिया की तरफ से कराए गए इस सर्वे में 90 फ़ीसदी से ज्यादा लोगों ने गैर बराबरी को कम करने के लिए बजट में प्रावधान किए जाने की भी मांग की है अडानी पर टैक्स से मिल सकते हैं 1.79 लाख करोड़ रुपए  रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के 10 सबसे धनी लोगों पर 5 फ़ीसदी टैक्स भी लगा दिया जाए तो  जो देश में स्कूल छोड़ने वाले तमाम बच्चों को दोबारा पढ़ाई लिखाई से जोड़ने के लिए काफी होगी रिपोर्ट में अमीरों पर टैक्स लगाने के मसले की चर्चा करते हुए देश के सबसे रईस उद्योगपति गौतम अडानी का उदाहरण भी दिया गया है रिपोर्ट में कहा गया है देश के सिर्फ एक अरबपति गौतम अडानी की दौलत में 2017 से 2021 के दौरान जितना इजाफा हुआ है अगर उस पर एकमुश्त कर लगा दिया जाए तो 1.79 लाख करोड़ रूपए जुटाए जा सकते हैं यह रकम देश के 50 लाख से ज्यादा प्राइमरी स्कूल टीचर को 1 साल का वेतन देने के लिए काफी हैं अरबपतियों की दौलत पर 2% एकमुश्त टैक्स की सलाह सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है  अगर भारत के अरबपतियों की कुल दौलत पर महज 2 फ़ीसदी एकमुश्त टैक्स लगा दिया जाए तो देश में कुपोषण के शिकार लोगों को 3 साल तक पर्याप्त पोषण देने के लिए जरूरी 40423 करोड रुपए जुटाए जा सकते हैं रिपोर्ट के मुताबिक देश के 10 सबसे अमीर अरबपतियों पर 5% का वन टाइम टैक्स लगा दिया जाए तो 1.37 लाख करोड़ रु जुटाए जा सकते हैं यह रकम वित्त वर्ष 2022- 23 के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के कुल बजट के डेढ़ गुने से ज्यादा है मोदी सरकार ऐसा करेगी यह संभव नहीं है लेकिन चंद लोग ही देश में इन बातों को समझते हैं। 26 जनवरी पर भी  खोखले आकर्षित और भ्रम फैलाने वाले भाषण दिए जाएंगे । 2022 के वादे का क्या हो गया  किसानों की आय दुगनी की बजाए आधी रह गई किसानों व बेरोजगारों की आत्महत्या दुगनी हो गई किसानों और पशुओं को एक दूसरे का दुश्मन बना कर खड़ा कर दिया भारत 5 ट्रिलियन डॉलर बनाना था लगभग 45 करोड लोगों ने बेरोजगार की आस ही छोड़ दी ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट अनुसार गरीबी में देश 107 वे स्थान पर पहुंच गया 100 करोड़ लोगों को पक्का मकान देना था विरोधियों के तथा अनजान लोगों के मकानों को तोड़ा जा रहा है भ्रष्टाचार महंगाई बेरोजगारी बलात्कार महिलाओं का अपमान सत्ता पक्ष की तानाशाही दुगनी रफ्तार से दौड़ रही है देश में बुलेट ट्रेन दौड़ेगी मगर 60% सरकारी संपत्तियों को ठेके पर दे दिया चप्पल पहने वाला इंसान हवाई जहाज में सफर करने की बजाय किराया भाड़ा टूल टैक्स दुगना महंगा हो गया अमृत दूध व कफन का कपड़ा भी टैक्स के लपेटे में आ गया।
लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची,  किसान एकता संघ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।