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आओ जलाएं एक गरीब के घर दीपकः श्रीमती मंजू नागर
इस बार ’’आओ जलाएं एक गरीब के घर दीपक’’ कार्यक्रम के तहत समृद्धि नागर फांउडेशन की चेयरमैन श्रीमती मंजू नागर ने ’’विजन लाइव’’ डिजिटल मीडिया को बताया कि एक गरीब के घर भी दीपावली मन जाएगी। उस घर में भी पूड़ी और पकवान बन जाएंगे। उस घर में भी तेल के दीपक जल जाएंगे। उस घर में भी उल्लास हो जाएगा। उनके बच्चे भी प्रकाश पर्व को उजाला के बीच मना पाएंगे
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
बडे शहरों का जीवन भी अजीबोगरीब है। त्यौहार भी इसी तर्ज पर हो जाते हैं। कहीं अमीरी का दंभ है तो कहीं गरीबों की नियति। दीपावली पर्व है। श्रीगणेश लक्ष्मी पूजन के इस पर्व पर हम भगवान श्रीराम के अयोध्या पहुंचने का स्वागत करते हैं। आतिशबाजी होती है। पर अब यह भी स्टेट्स सिंबल बन चुका है। एक गरीब जहां साल भर में जितना कमाता है वहीं उसके पड़ोस का अमीर उतने का पटाखा एक दिन क्या एक शाम में ही फोड़ देता है। यह एक ऐसी खाई है, जिसे पाटने में हमें और आपको आगे आना होगा। यदि एक अमीर अपने यहां पटाखों की जगह इको फ्रेंडली दीपावली मना ले तो एक गरीब के घर का कई दिनों तक चूल्हा जल जाएगा। यह कहना है कि समृद्धि नागर फांउडेशन की चेयरमैन श्रीमती मंजू नागर का।
श्रीमती मंजू नागर वैसे कारपोरेट घराने से आती है मगर गरीब का दर्द दिल में लिए हमेशा लाचार और असहाय लोगों के बारे में सोचते हुए मद्द के लिए आगे आती है। कोरोना महामारी के दौरान भी समृद्धि नागर फांउडेशन ने गरीब मजदूरों को राशन, दूध, फल आदि बांटने का काम किया। इसके साथ ही कारपोरेट की यूनिट हापुड कुचेसर चोपला पर भी हर मंगलवार को बजरंग बली की कृपा से हलुवा और खीर और पूडी सब्जी आदि गरीबों को वितरित किए जाने का क्रम भी अनवरत जारी है।
इस बार ’’आओ जलाएं एक गरीब के घर दीपक’’ कार्यक्रम के तहत समृद्धि नागर फांउडेशन की चेयरमैन श्रीमती मंजू नागर ने ’’विजन लाइव’’ डिजिटल मीडिया को बताया कि एक गरीब के घर भी दीपावली मन जाएगी। उस घर में भी पूड़ी और पकवान बन जाएंगे। उस घर में भी तेल के दीपक जल जाएंगे। उस घर में भी उल्लास हो जाएगा। उनके बच्चे भी प्रकाश पर्व को उजाला के बीच मना पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस मंहगाई के दौर में गरीब का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। किसी घर में एक कमाने वाला तो कहीं एक भी नहीं। जहां कमाने वाला मुखिया है उस घर में इतना बड़ा कुनबा है कि आसानी से सबका पेट नहीं भर सकता है। मुहल्ले के यूथ मजदूरी करते हैं। सीमेंट ढोते हैं। पर कभी.कभी ऐसा भी दिन आता है जब काम नहीं मिलता। उस दिन चूल्हा कैसे जलेगा यह सोच कर परेशान होते हैं।
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ये यूथ नालियां साफ करने को तैयार हैं। कूड़ा उठाने को तैयार हैं, लेकिन इन पर किसी का दिल नहीं पसीजता। इनके यहां दीपावली कैसे मनेगी यह बताने वाला कोई नहीं है। ऐसे में दीपावली का धूमधड़ाका। यह तो सपने की बात है। जो सपने में ही अच्छी लगती है। झालर नहीं यहां कुछ दीपक दरवाजे पर रख दिए जाते हैं। दीपावली की जो परंपरा है उसे निभा तो लिया जाता है लेकिन इसमें भी कुछ ऐसे परिवार हैं, जिनसे यह परंपरा भी नहीं निभाई जा पाती क्योंकि इनके पास पैसा नहीं है। इसलिए हर जिम्मेदार नागरिक ’’आओ जलाएं एक गरीब के घर दीपक’’ का सपना साकार करते हुए गरीब के घर भी दीपक जलाएं और कुछ न कुछ गरीबों को उपहार दे ताकि गरीब भी खुशी से इस त्यौहार को मना पाएं।