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भारत में ईद मिलादुन्नबी पवित्र त्यौहार रबी उल अव्वल 09 अक्टूबर-2022 दिन-रविवार- को मनाया जाएगा

 


भारत में ईद मिलादुन्नबी पवित्र त्यौहार रबी उल अव्वल 09 अक्टूबर-2022 दिन-रविवार- को  मनाया जाएगा

ईद मिलाद.उन.नबी, 12 वफात पवित्र त्यौहार मनाने का क्या है, मुख्य उद्देश्य, शौकत अली चेची की कलम से, आइए एक नजर डालते हैंः---

पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन की खुशी दुनिया में इस्लाम के मानने वाले लोग त्यौहार के रूप में मनाते हैं। मस्जिदों में जाकर नमाज अदा की जाती है। रात में जिक्र और मिलाद शरीफ, नात शरीफ और नज्म पढी जाती हैं। जब कि दिन में जुलूस-- मोहम्मदी भी निकाला जाता है

 



चौधरी शौकत अली चेची

 हिजरी कैलेंडर 1444 उर्दू कैलेंडर रबी उल अव्वल महीने की 1 तारीख तीसरा महीना कहा जाता है, 28 सितंबर 2022  को उर्दू कैलेंडर 01/03/1444 रबी उल अव्वल महीने का चांद देखा गया है। अलबत्ता 12 रबी उल अव्वल 9 अक्टूबर दिन-रविवार- को भारत में ईद मिलादुन्नबी पवित्र त्यौहार मनाया जाएगा। ईद मिलाद.उन.नबी या मिलादुन्नबी या 12 वफात पवित्र त्यौहार मनाने का मुख्य उद्देश्य  बुद्धिजीवियों द्वारा अलग अलग ढंग से बताया गया है। पैगंबर मोहम्मद का जन्म अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था। बताया यह भी जाता है कि 8 जून 632 62 की उम्र में पैंगबंर मदीना, सऊदी अरब से दुनिया को अलविदा कह गए इस्लाम के अनुसार जन्म और इंतकाल 8 जून को हुआ।  




मान्यताओं के अनुसार मोहम्मद साहब से पहले भी धर्म था। बताया जाता है कि पहले आदम, इब्राहिम, मूसा, ईशा आदि कितने की पैंगंबर आते रहे। लेकिन मुहम्मद साहब से पहले धर्म की लोकप्रियता दुनिया में नहीं हो पाई। पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म से पहले ही आपके वालिद अब्दुल्लाह का इंतकाल हो गया। वालिदा बीबी आमिनाह भी पैगंबर की 6 वर्ष उम्र होने पर इंतकाल कर गई। मोहम्मद साहब अपने चाचा अबू तालिब और अबू तालिब की पत्नी फातिमा बिंत असद दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। पैगंबर मोहम्मद साहब घर का काम करते थे तथा भेड़ बकरियां चराते और दूध घी खाना पीना पसंद था। तालीम के लिए बाहर जाते थे, मूर्ति चित्र पूजा के खिलाफ थे, इसीलिए उनकी तस्वीर नहीं मिलती है।  इस्लाम में मूर्ति पूजा नहीं की जाती, आपने बताया आपकी तस्वीर जो बनाएगा, अल्लाह ताला उसे सजा देगा। हजरत मोहम्मद साहब आखिरी पैंगंबर और इस्लाम के संस्थापक माने जाते हैं।


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कुरान हदीस सीरा मैं दर्शाया गया है। पैगंबर मोहम्मद ने 610 वी सदी में रहस्योद्घाटनो प्रचार किया और ऐलान किया सबका मालिक एक है इस्लाम के अन्य भविष्य वक्ताओं के समान खुदा के पैगंबर और दूत हैं। मदीना में मोहम्मद साहब ने मदीना के संविधान के तहत जनजातियों को एकजुट किया। 632 में विदाई  यात्रा से लौटने के कुछ महीने बाद 12 दिन तक आप बीमार पड़ गए और  दुनिया से विदा हो गए। मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने दुनिया से जाने तक  कुरान की सूरतो का निर्माण किया। मोहम्मद इबादत करने के लिए एक पहाडी पर जाया करते थे जहां कुरान नाजिल हुआ और कुरान की सूरतों आयतों के जरिए अल्लाह का पैंगाम लोगों तक पहुंचाया। मक्का में ऐसे भी लोग थे जिन्हें अल्लाह का पैगाम पंसद नही आया और जिससे वे पैगंबर मोहम्मद से शत्रुता का भाव रखने लगे। पैगबंर मोहम्मद को तरह तरह से परेशान किया जाने लगा। पैगंबर मोहम्मद ने मक्का शहर छोड कर मदीना शहर जाने का फैसला किया और अपने कुछ अनुयायियो के साथ मक्का छोड कर मदीना के लिए चले गए। मक्का के लोगों को बाद में अपनी भूल का अहसास हुआ और फिर पैगंबर मोहम्मद से वापस मक्का आने की विनती की। पैगंबर मोहम्मद हज बैतुल्लाह के लिए मक्का आते रहे मगर कायम किया जाता रहा मदीने में हीं। पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन की खुशी दुनिया में इस्लाम के मानने वाले लोग त्यौहार के रूप में मनाते हैं। मस्जिदों में जाकर नमाज अदा की जाती है। रात में जिक्र और मिलाद शरीफ, नात शरीफ और नज्म पढी जाती हैं। जब कि दिन में जुलूस-- मोहम्मदी भी निकाला जाता है।