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ट्विन टावर की .... “खरबूजा और चाकू का सम्बन्ध”

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फिलहाल  की ही बात कर लेते है  ट्विन टावर की ....  ट्विन टावर के गिरने की खबर से बहुत सारे सवाल मन मे आये .....क्या बिल्डिंग के गिराने से सच मे भ्रटाचार समाप्त हो गया?  क्या उस बिल्डिंग की जांच करके वहां  कोई सरकारी कार्य नही हो सकता था?  क्या ट्विन टावर को गिराने में 17 करोड़ से अधिक खर्च करना सही रहा होगा?  क्या यह पैसा जनता की कमाई  का हिस्सा नही रहा होगा?  क्या पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए  ये काम नही हो सकता था?  क्या राष्ट्र का विकास पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर  होना चाहिए ? कल दिनांक 28 अगस्त-2022  पूरा दिन न्यूज़ मे बस एक ही खबर थी .. भ्रटाचार की ईमारत धडाम ....ट्वीन टावर धडाम....और आखिर हुआ भी यही .. भ्रटाचार की इमारत गिर गई .  कितनी लम्बी अवधि मे बनी यह इमारत मात्र 12 सेकंड मे पूरी खतम ..क्योंकि  समय सर्जन मे ही लगता है विसर्जन मे नहीं।  अब वह चाहे कोई इमारत हो या कोई रिश्ता।  हम या हमारी सरकार दाबे कर रहे हैं कि हमने आज ट्विन टावर को ध्वस्त करके भ्रष्टाचार को ख़त्म कर दिया। इस मुद्दे पर लेखिका कुमारी प्रियंका रानी गहराई से विश्लेषण कर रही हैं, आइए एक नजर डालते हैं इस खास रिपोर्ट पर:-------
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कुमारी प्रियंका रानी
-------------------------- कहा जाता है कि स्वस्थ्य शरीर मे स्वस्थ्य  मस्तिस्क का वास होता है। लेकिन स्वस्थ्य  शरीर के लिए क्या सिर्फ अच्छा भोजन ही आवश्यक है ? भोजन के साथ साथ एक अच्छा परिवेश /पर्यावरण भी उतना ही मायने रखता है जितना अच्छा भोजन ...खैर ....कहाँ  तक बात करें पर्यावरण की ? फिलहाल  की ही बात कर लेते है  ट्विन टावर की ....  ट्विन टावर के गिरने की खबर से बहुत सारे सवाल मन मे आये .....क्या बिल्डिंग के गिराने से सच मे भ्रटाचार समाप्त हो गया?  क्या उस बिल्डिंग की जांच करके वहां  कोई सरकारी कार्य नही हो सकता था?  क्या ट्विन टावर को गिराने में 17 करोड़ से अधिक खर्च करना सही रहा होगा?  क्या यह पैसा जनता की कमाई  का हिस्सा नही रहा होगा?  क्या पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए  ये काम नही हो सकता था?  क्या राष्ट्र का विकास पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर  होना चाहिए ?
आज पूरा दिन न्यूज़ मे बस एक ही खबर थी .. भ्रटाचार की ईमारत धडाम ....ट्वीन टावर धडाम....और आखिर हुआ भी यही .. भ्रटाचार की इमारत गिर गई .  कितनी लम्बी अवधि मे बनी यह इमारत मात्र 12 सेकंड मे पूरी खतम ..क्योंकि  समय सर्जन मे ही लगता है विसर्जन मे नहीं।  अब वह चाहे कोई इमारत हो या कोई रिश्ता। 
हम या हमारी सरकार दाबे कर रहे हैं कि हमने आज ट्विन टावर को ध्वस्त करके भ्रष्टाचार को ख़त्म कर दिया। अब यह सोचने की बात है कि यह पैसा कहाँ से आया होगा? किसी ने भ्रटाचार करके जनता का  खून चूसा तो किसी ने उस भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के नाम पर जनता को नुकसान पहुँचाया, क्योंकि  यह भ्रष्टाचार के पैसे  से बनायीं गई ईमारत थी। मेरे ख्याल से यह सोचना चाहिए था कि जो पैसा इस ईमारत में लगा था उसको राष्ट्र हित में कैसे प्रयोग किया जाये?  शायद इस पर जनता के हित के लिए कोई अस्पताल, कोई सरकारी कार्यालय बनाकर या गरीबो को आशियाना देकर  प्रयोग भी लाया  जा सकता था, पर इस पैसे  के साथ साथ 17 करोड से अधिक  धन जो राष्ट्र पर या जनता पर खर्च करना था वो भी इसे  तोड़ने पर और खर्च कर दिया गया।  क्या यह वास्तव में सही कदम था?  वहीं दूसरी और पर्यावरण दूषित हुआ वो अलग.. क्या यह दूषित  हवा उन लोगों  के स्वस्थ्य पर प्रतिकूल  प्रभाव नही डालेगी?  जो पहले से ही साँस की बीमारी, अस्थमा,  बी पी या अन्य रोगों से ग्रसित है ?  क्या सभी को एक स्वस्थ पर्यावरण मे जीवन जीने का हक नही है ?.......देश मे इतने लोग बेघर है क्या यह इमारत उनके हित मे प्रयोग नही की जा सकती थी?  एक तरफ बच्चों और युवाओं से पर्यावरण पर निबंध/स्लोगन  लिखवाये जाते है। पर्यावरण बचाओ अभियान चलाया जाता है और  बच्चे  भी अच्छे  से अच्छे निबंध  लिख कर अच्छी डिग्री/प्रशस्ति पत्र  के हक़दार तो होते है लेकिन ऐसी डिग्री का क्या फायदा जब वह व्यवहार में ही प्रयोग ना की जा सके?  प्राक्रतिक आपदाओ पर सब इतना खेद व्यक्त करते है, जबकि मानव निर्मित आपदाओ पर ताली  बजा कर जशन मनाते है, और ऐसा देखने को भी मिला.... सोचा था  न्यूज़ मे मानव द्वारा प्रकृति  से खिलवाड़ का सब दुःख व्यक्त करेंगें,  लकिन सबने ताली  बजा कर जश्न मनाया और ख़ुशी व्यक्त की... क्या यह सही था?  चलो ये अच्छी बात है कि सभी के मन मे भ्रष्टाचार  के प्रति गुस्सा है और भ्रष्टाचारी  अथवा भ्रष्ट  लोगो को  सजा भी होनी चाहिए। लेकिन अपने राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए पर्यायवरण के बारे मे भी तो सोचना होगा.. हमारा देश भी बहुत बड़ा है और न जाने कितने भ्रष्टाचारी  लोग इस देश मे निवास करते है और न जाने कितने ट्विन टावर उनके द्वारा बनाये गए होंगे तो क्या सभी को प्रकृति  की चिंता किये बिना गिराया जाता रहेगा?  ...
शायद हम सब लोगों को इस मुद्दे पर सोचना होगा और मंथन करना होगा कि जो इस प्रकार का धन या संपत्ति संज्ञान में आती है तो उसे केसे राष्ट्र हित या राष्ट्र  की उन्नति के लिए  प्रयोग में लाया जा सकता है ट्विन टावर जैसी इमारतो को गिराने के सन्दर्भ में खासकर.... क्योकिं टी वी  पर देखने में आया कि कितने ही पक्षी इससे आहात हुए हों और हो सकता है कि कुछ तो उस धूल भरे गुबार और आवाज को देखकर शायद वहां वापिस ही नही आयें। आवश्यक कार्य से आने जाने वाले यात्रियों को परेशानियो का सामना करना पड़ा और इसके आलावा आपदा  प्रबंधन की टीम लगी अलग।  आज इन मुद्दों पर सोचने की आवश्यकता है। कहावत है ना कि  खरबूजा चाकू पर गिरे या चाकू खरबुजे पर गिरे नुकसान सिर्फ खुरबूजे का  ही होता है, वह कहावत यहाँ चरितार्थ होती  नजर आ रही है क्योंकि भ्रष्टाचार से आम जनता को लूटा जाता है और फिर हम उस भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए उसी धन का प्रयोग करते हैं जो हमे राष्ट्र उन्नति या जनता के हित के कार्यों पर खर्च करना चाहिए।