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अग्नि पथ की आग में पूरा देश जल रहा है, मगर सरकार दिख रही है, आगे बढती हुई

 

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मैंने पहले भी कहा था कि प्रधानमंत्री जी को काले कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे। ठीक उसी तरह उन्हें माफ़ीवीर बनकर देश के युवाओं की बात माननी पड़ेगी और अग्निपथ को वापस लेना ही पड़ेगाः राहुल गांधी

 

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कृषि कानूनों की तर्ज पर क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार झुकेगी या फिर अग्नि पथ स्कीम के भारी विरोध के चलते हुए आगे बढेगी, फिलहाल सरकार इस अग्नि पथ योजना पर आगे बढती हुई दिख रही है

 

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आइए सबसे पहले जाने की आखिर क्यों हो रहा है?, अग्नि पथ स्कीम का विरोध, क्या सरकार ने इस योजना को लाने में इतनी जल्दबाजी की, जो हडबडी में युवाओं को भरोसे में नही लिया गया और न ही विपक्षी दलों को, अखिर अब सरकार कैसे युवाओं और विपक्षी दलों का विश्वास जीत पाएगी?

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/नई दिल्ली

अग्नि पथ की आग में पूरा देश जल रहा है। इस वक्त अग्निपथ स्कीम के खिलाफ देशभर के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। अग्निपथ स्कीम के खिलाफ आग 13 राज्यों में फैल चुकी है। पिछले तीन दिनों में देश के कई हिस्सों में युवाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन आगजनी तक पहुंचा है। वहीं विपक्षी दलों ने सरकार से इस योजना को वापस लेने का आग्रह किया है। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएटेड ने 24 घंटे के लिए बिहार बंद करने का ऐलान किया है। यूपी के कई शहरों, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इसका विरोध शुरू हो गया है।

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लगातार यह आंदोलन जारी है और युवाओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। बिहार इस वक्त अग्निपथ स्कीम के खिलाफ जल रहा है। अग्निपथ योजना का बिहार और राजस्थान में व्यापक विरोध शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों के साथ.साथ बड़ी संख्या में युवा भी इस योजना के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। बिहार के कई शहरों में कल भी जमकर बवाल काटा गया था और आज भी बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतरकर इसका विरोध कर रहे हैं।् जहानाबाद, मुंगेर, नवादा, आरा समेत कई जगहों पर युवाओं ने टायर जलाकर विरोध जताया और कई जगह हाईवे जाम और बसें व रेलें तक फूंके जाने की करने की भी खबरें है। जयपुर में छात्रों ने सड़क जामकर इस योजना का विरोध किया। छात्रों ने अजमेर.दिल्ली एक्सप्रेस वे राजमार्ग पर विरोध प्रदर्शन किया और जाम लगा दिया। पुलिस ने इस मामले में  मामले में 10 युवाओं को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वहीं झुंझुनू और जोधपुर में भी बड़ी संख्या में प्रदर्शन के लिए इकट्ठा होने की अपील की गई। हरियाणा से सटे अलवर जिल के बहरोड़ में सैकड़ों की संख्या में आर्मी की तैयारी कर रहे युवाओं ने जयपुर.दिल्ली नेशनल हाईवे जाम कर दिया। इस दौरान पत्थरबाजी भी हुई। विरोध के चलते यहां तैनात पुलिस से भी प्रदर्शनकारी भिड़ गए।

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हाईवे के अलग.अलग हिस्सों पर बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता भी तैनात किया गया है। झुंझुनूं जिले में भी स्टूडेंट्स ने सड़क जाम करने की कोशिश की है। बताया जा रहा है कि यहां के चिड़ावा कस्बे में छात्रों से पुलिस की झड़प भी हुई है। सभी जिलों में प्रदर्शन की आशंकाओं को देखते हुए सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रखा गया है। पुलिस अलर्ट मोड पर है। धौलपुर जिले के राजाखेड़ा कस्बे में युवाओं ने अग्निपथ योजना को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान युवाओं की भीड़ में से कुछ असामाजिक तत्वों ने दिल्ली.राजाखेड़ा रोडवेज बस पर पथराव शुरू कर दियाए जिससे रोडवेज बस के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं घटना से सवारियों में चीख.पुकार मच गई। जोधपुर में पुलिस अलर्ट  किया गया है। गुरुवार को जोधपुर में युवकों ने हंगामा किया था। प्रशासन पूरी तरह  सतर्क है। अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं का गुस्सा जयपुर और जोधपुर में भी देखने को मिल रहा है। जयपुर के सांगानेर में स्टूडेंट्स ने रैली निकाली और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं, जोधपुर में प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। सीकर और श्रीगंगानगर में भी पुलिस ने छात्रों को खदेड़ा है। खबरें मिली है कि जयपुर, जोधपुर, अजमेर, अलवर, कोटपूतली के बाद कोटा, सीकर, भरतपुर और चित्तौड़गढ़ में युवकों ने योजना का विरोध किया था। भरतपुर में युवक हिंसक हो गए थे। शुक्रवार को भरतपुर में आक्रोशित युवकों ने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया। युवकों की तरफ से पत्थबाजी तक हुई। युवाओं का कहना है कि अग्निपथ योजना देश के युवाओं के हित में नहीं है। कृषि कानूनों की तर्ज पर क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार झुकेगी या फिर अग्नि पथ स्कीम के भारी विरोध के चलते हुए आगे बढेगी, फिलहाल सरकार इस अग्नि पथ योजना पर आगे बढती हुई दिख रही है। गृहमंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से लेकर सेनाप्रमुखों द्वारा अग्नि पथ स्कीम के फायदे गिनाए जा रहे हैं। आइए सबसे पहले जाने की आखिर क्यों हो रहा है?, अग्नि पथ स्कीम का विरोध, क्या सरकार ने इस योजना को लाने में इतनी जल्दबाजी की, जो हडबडी में युवाओं को भरोसे में नही लिया और न ही विपक्षी दलों को, अखिर अब सरकार कैसे युवाओं और विपक्षी दलों का विश्वास जीत पाएगी?--------------------

कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते सेना की बहाली पर भी असर पड़ा था। पिछले दो साल से भर्तियां नहीं हो पाई थीं और कुछ के परिणाम लंबित थे। इस बीच सरकार ने अग्निपथ योजना को लॉन्च कर दिया और सभी पुरानी भर्तियों को इसी नयी योजना के दायरे में करने का फैसला किया। सरकार के इस फैसले से उन युवाओं को गहरी निराशा हुई जिनकी उम्र सीमा अब खत्म हो चुकी है या लगभग खत्म होने को है। अधिकांश छात्र पुरानी भर्तियों के परिणाम का इंतजार कर रहे थे। मुख्य तौर पर यही वजह है कि वे सरकार की इस नयी स्कीम का विरोध कर रहे है। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार द्वारा घोषित अग्निपथ योजना के तहत इस वर्ष 46 हजार युवाओं को सेना में शामिल किया जाएगा। योजना के मुताबिक भर्ती संविदा के आधार पर होगी, जिसकी समय सीमा 4 वर्ष के लिए होगी, उम्मीदवारों की उम्र 17 से .21 वर्ष तक होगी। हालांकि भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को 4 साल के बाद भी सेना में रखा जाएगा।

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इस बीच केंद्र सरकार ने एक और ऐलान करते हुए युवाओं के गुस्से की आग पर पानी डालने की कोशिश की है। अग्निवीरों की भर्ती के लिए अधिकतम आयु 21 वर्ष तय की गई है, लेकिन इस साल के लिए दो वर्ष की रियायत देने का फैसला लिया गया है। यानी अब 23 साल तक के युवा इसके लिए आवेदन कर सकेंगे। यही नहीं खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे आते हुए युवाओं से शांति की अपील की है और कहा है कि वह इसके लिए तैयारी करें और भविष्य को बेहतर करने के लिए लाभ उठाएं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आज सीएपीएफ और असम राइफल्स की भर्ती में अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा के तुरंत बाद रक्षा मंत्री और सेना प्रमुखों के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई। तीनों सेना प्रमुखों ने उस योजना के बारे में विश्वास व्यक्त किया है जिसके माध्यम से युवाओं को चार साल की अवधि के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना में भर्ती किया जाएगा। चार साल के अंत में, उनमें से 25 प्रतिशत को बरकरार रखा जाएगा जबकि बाकी को उनके भविष्य के लिए सहायता दी जाएगी। वायुसेना प्रमुख मार्शल विवेक राम चौधरी ने कहा कि अग्निपथ का विरोध कर रहे युवाओं को सही जानकारी हासिल करनी चाहिए और योजना को पूरी तरह से समझना चाहिए। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि यह योजना युवाओं को एक अवसर प्रदान करेगी और चल रहे प्रतिरोध के कारण उन्हें ठीक से सूचित नहीं किया गया है। वहीं, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि विरोध की उम्मीद नहीं थी और अग्निपथ योजना भारतीय सेना में सबसे बड़ा मानव संसाधन प्रबंधन परिवर्तन है। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि आवश्यक आयु में छूट का प्रावधान भी किया जाएगा। इसके अलावा भारतीय तटरक्षक बल और डिफेंस सिविल पोस्ट के लिए और रक्षा क्षेत्र की सभी 16 सार्वजनिक उपक्रमों की नौकरियों में 10 फीसदी रिक्तियों को आरक्षित किया जाएगा। यह आरक्षण पूर्व सैनिकों को मिलने वाले कोटे से अलग होगा। उधर गृहमंत्री अमित शाह ने भी युवाओं से शांति की अपील करते हुए कहा है कि दो सालों से भर्ती अटकी थी और अब युवाओं को बड़ा मौका मिला है। हालांकि अब तक सेना की तैयारी करने वाले युवाओं पर इसका असर नहीं दिख रहा है। ऐसे में यह सवाल एक बार फिर उठ रहा है कि क्या यह विरोध मोदी सरकार की वैसी ही अग्निपरीक्षा लेगा, जैसे किसान आंदोलन ने ली थी। दरअसल युवा सड़क पर उतरे हैं तो विपक्ष भी इस स्कीम को लेकर हमलावर है।
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किसान आंदोलन के नेता रहे राकेश टिकैत ने भी आखिरी सांस तक युवाओं के लिए संघर्ष करने का ऐलान कर दिया है। सरकार की मुश्किल यह है कि एक तरफ वह युवाओं को समझाने में असफल साबित हो रही है तो वहीं जेडीयू जैसा सहयोगी दल भी उसके साथ नहीं है। जेडीयू का कहना है कि सरकार को इस पर विचार करते हुए युवाओं से बात करनी चाहिए। जेडीयू के एक नेता ने कहा कि बेहतर होता कि केंद्र सरकार इस मसले पर सहयोगी दलों को भी साथ लेती और उनसे सलाह मशविरा पहले ही कर लेती। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अग्निपथ स्कीम को लेकर मोदी सरकार पर तीखा तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 8 सालों से लगातार भाजपा सरकार ने जय जवान, जय किसान के मूल्यों का अपमान किया है। राहुल गांधी ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि प्रधानमंत्री जी को काले कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे। ठीक उसी तरह उन्हें माफ़ीवीर बनकर देश के युवाओं की बात माननी पड़ेगी और अग्निपथ को वापस लेना ही पड़ेगा। राहुल गांधी लगातार अग्निपथ स्कीम का विरोध कर रहे हैं और इसे युवाओं के साथ अन्याय बता रहे हैं। इससे पहले राहुल गांधी ने गुरुवार को इस मसले पर ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि अग्निपथ स्कीम को नौजवानों ने नकार दिया है। कृषि कानूनों को किसानों ने नकारा था। नोटबंदी को अर्थशास्त्रियों ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा  जीएसटी को व्यापारियों ने नकारा था। राहुल गांधी ने कहा था, देश की जनता क्या चाहती है, ये बात प्रधानमंत्री नहीं समझते क्यूंकि उन्हें अपने मित्रों की आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता।

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राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी भी इस स्कीम को लेकर हमलावर हैं और सरकार पर निशाना साध रही हैं। भले ही भाजपा आरोप लगा रही है कि विपक्ष की ओर से युवाओं को उकसाया जा रहा है, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि केंद्र सरकार इस मसले पर पूरी तरह से घिरी दिख रही है। इसकी यह वजह यह भी है कि सिर्फ भाजपा की राज्य सरकारें ही साथ हैं, जब कि दूसरे दल दूरी बनाए हुए हैं। यह संकट इसलिए भी बढ़ता दिख रहा है क्योंकि अग्निवीरों को 4 साल की नौकरी के बाद सेवामुक्ति होने पर सिर्फ यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों ने ही दूसरी नौकरियों में प्राथमिकता देने की बात कही है। वहीं गृहमंत्रालय ने भी अर्ध सैनिक बलों में इन युवाओं को प्राथमिकता देने की बात कही है। लेकिन राजस्थान, पंजाब, दिल्ली समेत देश के कई राज्यों ने इस पर कोई ऐलान नहीं किया है, जो विपक्षी दलों द्वारा शासित हैं। यहां तक कि बिहार सरकार ने भी ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है, जिसमें खुद भाजपा शामिल हैं। ऐसे में जेडीयू की ओर से भाजपा पर दबाव बनाए जाने के भी कयास लगाए जा रहे हैं।