पत्रकार के परिवार को दो करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता व एक नौकरी दे सरकार........
विजन लाइव/ नई दिल्ली
एक सजग प्रहरी के तौर पर पत्रकार टीवी चैनल,अखबार और न्यूज़ पोर्टलों के माध्यम से खबर को प्रमुखता से दिखने का काम करता हैं, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से पत्रकारो के लिए कोई कानून नही बनाया हैं। कवरेज के दौरान ना बुलेटप्रूफ जैकेट उपलब्ध कराई जाती हैं न ही प्रशासन सुरक्षा में सहयोग करता हैं। काफी पत्रकारो की जान कवरेज करते हुए चली गई। इस ओर से सरकार के कानों पर कोई जू नही चलती है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को कृषि कानूनों और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की टिप्पणी का विरोध कर रहे। किसानों और मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा के समर्थकों के बीच हिंसक . झड़प हुई। किसानों का आरोप है, कि आशीष मिश्रा ने लखीमपुर के तिकुनिया इलाके में प्रदर्शनकारी किसानों पर कार चढ़ा दी। किसानों के मुताबिक वो लोग आशीष मिश्रा के गांव जा रहे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का विरोध करने के जिए इकट्ठा हुए थे। इसी दौरान डिप्टी सीएम को रिसीव करने जा रहे आशीष मिश्रा ने किसानों पर कार चढ़वा दी। किसानों पर हमला भी बोला। एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप (35 वर्षीय ) भी घटना की कवरेज के दौरान हिंसक झड़प में घायल हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस हिंसा में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है। चार किसान व तीन बीजेपी कार्यकर्ता व गाडी के ड्राइवर समेत क्षेत्र के निघासन निवासी पत्रकार रमन कश्यप मौत की हो चुकी हैं। हिंसा के बाद से ही पत्रकार रमन कश्यप लापता हो गया था। लेकिन जब जानकारी मिली तो रमन के परिजनों ने पोस्टमॉर्टम हाउस में उनकी मौत की पुष्टि की है। उधर इस घटना के खिलाफ सियासत भी चरम सीमा पर है। मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। तमाम राजनीतिक दलों के नेता इस मुद्दे को भुनाने में लगे हैं। भारतीय पत्रकार महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता वसीम मंसूरी ने कहा कि रमन कश्यप हिंसा में कवरेज के दौरान गम्भीर रूप से घायल हो गए थे, जैसे ही मौत खबर मिली तो ह््रदय से बहुत दुःखी हूं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति दे और इस दुःख की घड़ी में हम परिवार के साथ खड़े हैं। मंसूरी ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि पत्रकार की हत्या का जिम्मेदार कौन हैं? इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। सरकार से कई बार मांग भी कर चुके हैं कि पत्रकार सुरक्षा विधेयक पारित किया जाए। सरकार उनके लिए कानून बना रही हैं, जो इन कानूनों को नही चाहती हैं। भारतीय पत्रकार महासभा ने कई बार चिट्ठी लिखकर भेजी है मगर उस पर कोई कार्यवाही नही की हैं। झारखंड सरकार ने भेजी गई चिट्ठी पर विधानसभा में मुद्दे को उठाया गया था। वह भी कागजों में धूल फांक रहा हैं। भारतीय पत्रकार महासभा सरकार से मांग करती हैं कि कि पत्रकार सुरक्षा विधेयक पारित किया जाए अन्यथा पत्रकारो का भी विरोध पत्रकार आंदोलन बनेगा। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को न्याय नही मिला, तो भारतीय पत्रकार महासभा उनके परिवार का न्याय दिलाने का काम करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार से भी मांग हैं कि रमन कश्यप के परिवार को 2 करोड़ रुपये से आर्थिक सहायता दे तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिले। सरकार से पत्रकार के परिवार को न्याय नही मिलता तो जमीनी संघर्ष होगा।