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कुछ तो करो सरकार, देश का अन्नदाता लाचार, देशवासियों से करता है, बेइंतहा प्यार

 


किसानों की आय दुगनी करने का फार्मूला गोदी में या गंगा में या सैर सपाटे में या योजनाएं, घोषणा आदि में खो गया या बह गया




 

भरोसा और इंतजार की बेवफाई मार गई, बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई आगे पीछे घूम कर अनाप.शनाप कानून की दुहाई मार गई

चौधरी शौकत अली चेची


-----------------------------अर्थव्यवस्था लगातर रसातल में जा रही है। भारत अब 14 वे स्थान में शामिल हो गया हैं। आर्थिक स्थिति में पिछड़ कर भारत 144 वे स्थान पर पहुंच गया है। जीडीपी करीब 7. 4 प्रतिशत चली गई। जब कि कांग्रेस शासन में 52 वें स्थान पर था। जीडीपी 9 प्रतिशत से ऊपर थी। अंतर्राष्ट्रीय मैगजीन की छपी खबर के मुताबिक भारत भ्रष्टाचार, अत्याचार, बेरोजगारी, महंगाई में नंबर वन बताया जा रहा है, कई कारणों से देश की छवि धूमिल होती जा रही है। सन 1947 में देश आजाद हुआ और सबकी भलाई में मजबूत संविधान बना। 1975 में हमारा देश आर्थिक संकट के दौर से होकर गुजरा था, पड़ोसी देशों से कई लड़ाइयां लड़ी। 1975 के दशक में डीजल, पेट्रोल कितना सस्ता मिलता था। गेहूं, धान अन्य वैरायटी लगभग 1 रुपये 50 पैसे किलो, लोहा 50 पैसे किलो, विधायक सांसदों की सैलरी लगभग 2500 से 5000 महीने कुछ अन्य सुविधाएं सहित, सोना लगभग 300 तोला यह आंकड़े बहुत सारी वस्तुओं की कीमत निकालने में सहायता कर सकते हैं। लगभग 45 साल से खेती कर रहा हूं पिछले 20 साल से ज्यादातर धान, गेहूं की फसल पैदा करता हूं सबसे ज्यादा देश में धान, गेहूं की फसल पैदा की जाती है और 20 किलोमीटर के दायरे में अपनी फसल को बेचता हूं तथा फसल की जरूरत के सभी संसाधन खर्च आस पास के ही एरिया से खरीदता हूं। 2014 से पहले अन्नदाता कितना बर्बाद हुआ, केवल धान की फसल के बारे में मुख्य बातें 7 बिसे का एक बीघा, ट्रैक्टर की हैरो से एक बार जुताई द्वारा 460 ग्राम डीजल खर्च होता है। टैक्स 12 प्रतिशत, डीजल लगभग 56 लीटर, पेट्रोल लगभग 65 लीटर, ट्यूबेल का रेंट 400 धान का बीज अन्य वैरायटी 25 से 64 किलो, यूरिया 5 से 6 किलो, डीएपी 17 से 20 किलो, कीटनाशक दवाई 40 किलो, लिक्विड खरपतवार नाशक व कीटनाशक दवाई 250 लीटर, आयल 90 लीटर, किराया एक रुपए किलोमीटर, वेल्डिंग टांका छोटा साइज 10, फावड़ा कंप्लीट,110 नट बोल्ट एक पीस,5 पैकिंन एक पीस,5 लोहा 32 किलो, रोपाई धान की 350 बीघे फुटकर, मजदूर 200, स्प्रे 10 बिघे, धान की हाथ से कंप्लीट कटाई 500 बिघे, कंबाइन मशीन द्वारा कटाई 350 बिघे, धर्म कांटे की तोल ट्राली 20, मंडी में कंप्लीट तोल 7 ,मंडी में धान बेची गई अलग.अलग वैरायटी 1600 से 4800 तक। 2014 के बाद किसानों को लाभ मिला टैक्स 18 प्रतिशत जीएसटी लगाकर और 4 हिस्सों में बांट दिया 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत , 18 प्रतिशत , 28 प्रतिशत, डीजल, पेट्रोल 56,65 से बढ़कर अब डीजल 90- 100 के पार, ट्यूबेल रेंट 1900 से 2200 तक, धान का बीज 50 से 90 किलो, कीटनाशक दवाई 90 किलो, लिक्विड खरपतवार नाशक व कीटनाशक दवाई 450 लीटर, आयल 160, किराया 3 रूपया किलोमीटर, वेल्डिंग टांका छोटा साइज 40, फावड़ा कंप्लीट 250, नट बोल्ट एक पीस 20, पैकिंन एक पीस 15, लोहा 65 किलो, 90 प्रतिशत खेती के लिए लोहे के यंत्र होते हैं। धान की रोपाई 600 बिघे फुटकर मजदूर 500, स्प्रे  20 बिघे, धान की हाथ से कंप्लीट कटाई 1200 बिघे, कंबाइन मशीन द्वारा कटाई 500 बिघे, धर्म कांटे पर एक ट्रॉली तोल  50, मंडी में कंप्लीट तोल 15 कुंतल, पिछले 7 सालों से किसान की धान खरीदी जा रही है, अलग.अलग वैरायटी 1300 से 3000 तक, धान की फसल तैयार होने वाली है देखना समझना बाकी है, धान की फसल किस रेट खरीदी जाएगी? मजेदार बात यह है कि 2013 के समय में और अब तक चावल 20 किलो से 80 किलो तक ही बेचा जा रहा है, एक कुंतल धान में 55 से 65 किलो चावल निकलता है और लगभग 30 प्रतिशत किसान पशुओं से लाभ लेता था, अब किसान और पशु एक दूसरे के दुश्मन बन गए। उद्योगपतियों का मुनाफा लगभग 800 प्रतिशत बढ़ गया। सरकारी मुलाजिम और विधायक, सांसदों की सैलरी और सुविधा में बहुत अधिक लाभ वृद्धि हुई है, जैसे कि सोना लगभग 50 हजार तोला पहुंच गया। किसानों की आय दुगनी करने का फार्मूला गोदी में या गंगा में या सैर सपाटे में या योजनाएं, घोषणा आदि में खो गया या बह गया। हर फसल पर अन्नदाता लगभग 40 प्रतिशत का घाटा झेल रहा है, अचानक किसी कारणवश फसल नष्ट हो जाए तो 20 प्रतिशत किसानों को ही लाभ मिल पाता है जबकि लगभग 80 प्रतिशत वस्तुओं पर किसान टैक्स जीएसटी देता है। कुछ तो करो सरकार, देश का अन्नदाता लाचार, देशवासियों से करता है, बेइंतहा प्यार,भरोसा और इंतजार की बेवफाई मार गई, बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई आगे पीछे घूम कर अनाप.शनाप कानून की दुहाई मार गई।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।