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ईद.उल.फितर पर कोरोना महामारी में जान गंवाने वाले लोगों की जितनी भी हो सके मद्द करें और उनके गमों को बांटे

 





ईदुल फितर का त्यौहार कल 14 मई दिन जुमा को मनाया जाएगा। इस समय पूरा भारत देश कोरोना वायरस भयंकर महामारी से जूझ रहा है

 


चौधरी शौकत अली चेची


------------------------------------- लाखों त्यौहार विश्व में अलग अलग ढंग से मनाए जाते हैं। त्यौहारों का मुख्य उद्देश्य बलिदान,त्याग,अमन,.चैन, तरक्की भाईचारे की नींव को मजबूती प्रदान करना रहा है। कुरआन के अनुसार पैगंबरे इस्लाम ने कहा है कि जब अहले ईमान रमजान के पवित्र महीने के एहतेरामों से फारिग हो जाते हैं और रोजों.नमाजों तथा उसके तमाम कामों को पूरा कर लेते हैं तो अल्लाह एक दिन अपने उक्त इबादत करने वाले बंदों को बख्शीश व इनाम से नवाजता है। इसलिए इस दिन को ईद् कहते हैं और इसी बख्शीश व इनाम के दिन को ईद.उल.फितर का नाम देते हैं। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस पूरे माह में रोजे रखे जाते हैं। इस महीने के खत्म होते ही 10वां माह शव्वाल शुरू होता है। इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है। इस रात का इंतजार वर्षभर खास वजह से होता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही इस्लाम के बड़े त्यौहार ईद.उल.फितर का ऐलान होता है। इस तरह से यह चांद ईद का पैगाम लेकर आता है। जमाना चाहे जितना बदल जाए, लेकिन ईद जैसा त्यौहार हम सभी को अपनी जड़ों की तरफ वापस खींच लाता है और यह अहसास कराता है कि पूरी मानव जाति एक है और इंसानियत ही उसका मजहब है। इस्लाम धर्म के पांच अरकान यानी स्तंभ मुख्य माने गए हैं जिनमें कलमा, नमाज, रोजा, जकात, हज हैं। कलमा का अर्थ है कि नहीं है कोई माबूद पूजने योग्य सिवा अल्लाह के और मुहम्मद रसूल हैं। नमाज 9 साल के बाद हर मुस्लिम पर पांचों वक्त की नमाज पढ़ना फर्ज है। रोजा रखना भी फर्ज है और साथ ही फितरा देना भी फर्ज है। फितरा नहीं देने वाले को ईद मनाने का हक नहीं है। फितरा का अर्थ है कि रोजा रखने में जो गलतियां हुई है, गरीबों के लिए हर सदस्य पोने दो किलो अनाज या रेट लगाकर धनराशि दान देना अल्लाह का हुकुम माना गया है। जकात का अर्थ 1 साल के लाभ का 40 वा हिस्सा गरीबों को दान करना जो साल में कभी भी दिया जा सकता है। हज का अर्थ है कि मक्का मदीना जो कि इस्लाम धर्म मुख्य केंद्र है वहां जाकर अल्लाह पाक को याद कर गुनाहों से तौबा कर अमन चैन, तरक्की और भाईचारे की दुआ की जाती है। लेकिन हज पर जाने से पहले सभी जिम्मेदारियों से फारिग होना जरूरी है। बगैर कर्ज के हज करना जायज माना गया है। इस बार फिर ईदुल फितर का त्यौहार कल 14 मई दिन जुमा को मनाया जाएगा। इस समय पूरा भारत देश कोरोना वायरस भयंकर महामारी से जूझ रहा है।  कुदरती इस आफत का अंदाजा लगाया जाना मुश्किल है। ईद उल फितर त्यौहार की खुशियां फीकी पड़ रही हैं। परिस्थिति को देखते हुए इस्लाम धर्म के मानने वाले सभी रहनुमाओं और सभी देशवासियों से गुजारिश है कि सतर्क रहें, सावधानी बरतें, संदेशों व आदेशों व कानूनों का पालन कर ईद मनाए। साथ ही कोरोना महामारी में जान गंवाने वाले लोगों की जितनी भी हो सके मद्द करें और उनके गमों को बांटे।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज)  के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।