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ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही मौतों के पीछे कोरोना है या फिर डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी ?

 


 खांसी, जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या अचानक बढी और हो रही हैं मौतें

 






अप्रैल और मई महीने में ही लोगों में कोरोना के साथ दिखाई दे रहे हैं, डेंगू जैसे लक्षण

 


 


16 मई-2021 राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर विशेष-----


मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर

कोरोना संक्रमण पहले ही बेकाबू है, शमशान और कब्रिस्तानों में लाशों की लाइनें लगी हुई हैं। पवित्र गंगा नदी में बहते हुए शव पाए गए हैं। इससे देख कर लगता है कि भला इससे बडी त्रासदी क्या हो सकती है? सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद कोरोना को लेकर स्थिति नियंत्रण में नहीं आ पा रही। दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र में भी यह महामारी तेजी से पैर पसार रही है। गौतमबुद्धनगर जिले में ही बीते 15 दिलो में मौतों के सिलसिले ने सरकार आंकडों के दावों की धज्जियां उडा कर रख दी है। ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के गांवों में खांसी, जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या अचानक बढी है और मौतें हुई हैं। कासना, लडपुरा, दनकौर क्षेत्र के महमदपुर, सलारपुर और दनकौर में दर्जनों की संख्या में लोगों की मौत हुई हैं। इनमें ज्यादातर लोगों की मौत घर पर हुई और जिन्हें नैचुरल मौत माना जा रहा हैं। उंची दनकौर में ही 1 मई से लेकर अब तक करीब 1 दर्जन लोगों की मौतें हुई हैं। इनमें दो महिलाओं की मौतें कोरोना से हुई बताई जा रही हैं। इसी प्रकार दनकौर कसबे में हर रोज मौतों का सिलसिला थम नही पा रहा है। दनकौर में हालत यह हैं कि शमशान फुल हैं। ऐसी स्थिति में दनकौर बिजली घर के सामने बने डेरीन गूजरान के बने शमशान में जाकर लोग अंतिम संस्कार कर रहे हैं। बात यदि इन मौतों की जाए तो कोरोना के लक्षणों के अलावा बुखार,खासी जुकाम जैसी बीमारियों के बाद लोगों की मौत हुई हैं। जुकाम.बुखार से इन संदिग्ध मौतों को डेंगू जैसी बीमारी से का कारण भी माना जा रहा है। यदि डेंगू की बात की जाए तो मानसून बाद डेंगू और मलेरिया जैसे मच्छरों का प्रकोप शुरू हो जाता है। किंतु इस बार अप्रैल और मई महीने में ही लोगों में कोरोना के साथ डेंगू जैसी लक्षण दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में जुकाम और बुखार के बाद लोगों में प्लेटलेट्स  गिरने जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। खास बात है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना टेस्टिंग, वैक्सीन आदि का ज्यादा लोड है, जनरल मरीजों के लिए ओपीडी की सुविधा नाम मात्र की है। इससे खांसी और जुकाम के ज्यादतार मरीज निजी चिकित्सकांं के यहां इलाज करवानें के लिए मजबूर हैं। अममून देखा जाता है कि अचानक जुकाम होता है या बदन टूटता है, खून की जांच में फिर मालूम पडता है कि प्लेटलेट्स डाउन हो गई। प्लेटलेट्स डाउन होना डेंगू की खास पहचान है। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह के समय काटता है। डेंगू का प्रकोप वैसे तो जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है, क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे ब्लीडिग होने लगती है। दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 नरेंद्र कुमार तिवारी का कहना है कि कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में जुकाम और बुखार के मरीज भी निकल रहे है। बुखार में प्लेटलेट्स डाउन होना डेंगू की खास पहचान है। यह सीधे तौर पर डेंगू भी हो सकता है और कोरोना जैसी वायरस का एक नया रूप भी हो सकता है, क्योंकि नॉवेल कोरोना वायरस किसी भी रूप में सामने आ सकता है?

 डेंगू से कैसे करें बचाव

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 मच्छर के काटने से आपको डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां मिल सकती है। डेंगू के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। डेंगू के प्रति जागरूक रहकर हम इससे बच सकते हैं। आइए, जानते हैं इससे जुड़ीं कुछ जानकारी।. डेंगू से बचाव के लिए घर और आसपास साफ.सफाई रखें। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है। ऐसे में जरूरी है कि कूलरए टूटे बर्तन, टायर आदि स्थानों पर पानी को इकट्ठा न रहने दें। ऐसे बर्तनों को उलटा करके रख दें, ताकि इनमें पानी इकट्ठा न हो सके। मच्छर रोधी क्रीम लगाएं। मच्छरदानी का प्रयोग करें। पूरी बाजू की शर्ट या टी.शर्ट, लंबी पैंट और जूते.मौजे पहनकर ही बाहर जाएं।


 डेंगू के लक्षण

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1ः- ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना।

.2ः- सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना

 

. 3ः-आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना।

 

4ः- बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मिचलाना।

 


.5ः- गले में हल्का.सा दर्द होना।

 

. 6ः-शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल.गुलाबी रंग के रैशेज होना।

 

. 7ः-नाक और मसूढ़ों से खून आना।

 

. 8ः-त्वचा पर गहरे नीले.काले रंग के छोटे या बड़े चकत्ते पड़ जाना।

 

 

क्या है डेंगू

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डेंगू बुखार एक ऐसा बुखार है, जो मच्छर जनित वायरल बीमारी है जिसमें सिर में दर्द, तेज बुखार, शरीर में दर्द जैसी परेशानियां होती हैं। यह फीमेल एडीज मच्छर के काटने से होता है। ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते लेकिन लापरवाही की गई तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ का रूप ले सकता है जिसमें भारी रक्तस्राव, ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट और अंत में मौत तक हो सकती है। संक्रमित होने पर इसके लक्षण 4 से 5 दिनों में दिखने लगते हैं। हल्के  लक्षण में तेज बुखार होना, सिरदर्द, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी, जी मिचलाना, आंखों में दर्द होना, त्वचा पर लाल चकत्ते होना, ग्लैंड्स में सूजन होना आदि हैं। जबकि गंभीर मामले होने पर गंभीर पेट दर्द, लगातार उल्टी होना, मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव, मूत्र, मल या उल्टी में खून आना, त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, सांस लेने में कठिनाई, थकान महसूस करना, चिड़चिड़ापन या बेचैनी आदि हैं।

 

 

 

डेंगू के लक्षण दिखने पर शुरूआती कदम

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.कंप्लीमट ब्लड काउंट टेस्ट कराएं, जिससे जानकारी मिले कि शरीर में प्लेटलेट्स की क्या स्थिति है? इसी के आधार पर डॉक्टर आपका इलाज करते हैं। डेंगू एनएस 1 एजी के लिए एलिसा टेस्ट कराएं। इस ब्लड टेस्ट से डेंगू वायरस एंटीजन का पता चलता है। .पीसीआर टेस्ट कराएं। इसे आप शुरूआती चरण में करा सकते हैं। सीरम आईजीजी और आईजीएम टेस्ट कराएं। इससे शरीर में एंटीबॉडीज के निर्माण के स्तर की जानकारी मिलती है। खूब सारा पानी और ओआरएस पिएं।.खाने पीने पर खास ध्यान रखें। सूप, काढ़ा, नारियल पानी, अनार आदि का अधिक सेवन करें, खिचड़ी व दलिया खाएं।

 

 

डेंगू में अगर प्लेटलेट्स घटने लगें, तो इन घरेलू उपायों की लें मद्द

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डेंगू में प्लेटलेट्स का घट जाना सबसे ज्यादा घातक स्थिति होती है। इसलिए जरूरी है कि इनके काउंट पर नजर रखें और समय रहते घरेलू तरीके आजमाएं। प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो खासतौर पर बोनमैरो में पाई जाती हैं। हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की कमी इस बात को दिखाती है कि खून में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो रही है। प्लेटलेट्स कम होने की इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोलीटर होता है। जब ये काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाता है, तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है। प्लेटलेट्स कम होने के कई कारण हां सकते हैं। जिनमें दवाओं के सेवन से,आनुवंशिक रोगों,कुछ प्रकार के कैंसर,कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट और बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया आदि। प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए सबसे पहले चुकंदर को आप अपने खाने में शामिल कर सकते हैं। आप इसका सलाद और जूस बनाकर भी सेवन कर सकते हैं। एंटीऑक्सीट्डेंट से भरपूर चुकंदर में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए सभी जरूरी गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से आपका इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है। इसके अलावा पपीते के पत्तों को पानी में उबालकर उसे ग्रीन टी के रूप में पीने से काफी लाभ होता है। साल 2009 में मलेशिया के शोधकर्ताओं ने ये दावा किया था कि प्लेटलेट्स बढ़ाने में पपीता ही नहीं, उसकी पत्तियां भी मददगार साबित होती हैं। खासतौर पर डेंगू बुखार के कारण कम हुए प्लेटलेट्स को संतुलित करने में पपीता फायदेमंद होता है। वहीं आंवला एक आयुर्वेदिक उपचार है। आंवले में मौजूद विटामिन.सी शरीर में प्लेटलेट्स का उत्पादन बढ़ाता है, इससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। इसका नियमित सेवन करना बेहद जरूरी है। इसके लिए हर दिन सुबह खाली पेट 3 से 4 आंवला खाएं। इसका सेवन चुकंदर के जूस में डालकर भी किया जा सकता है। इसके अलावा ये चीजें भी प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए मददगार साबित हो सकती हैं। प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए कीवी का सेवन करें। गाजर का नियमित सेवन करें। नारियल पानी का सेवन करें। इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स प्लेटलेट्स बढ़ाने में बेहद मद्दगार साबित होते हैं। बकरी का दूध भी प्लेटलेट्स बढ़ाने में बहुत लाभकारी होता है। प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए इन खाद्य पदार्थों को पका कर खाने की जगह कच्चा ही खाएं। साथ ही ध्यान रहे कि डेंगू एक खतरनाक बीमारी है। इसलिए यह जरूरी है कि इसके लिए अपनी मर्जी से कोई भी उपचार न करें। बल्कि डॉक्टर के परामर्श पर भरोसा करें।