दादरी में राव उमराव सिंह ने बैलों की जगह अंग्रेजों को बांधकर चलवाया था, हल
मई 1857 की क्रांति पर शहीद दरियाव सिंह नागर समिति के अध्यक्ष सुनील प्रधान की कलम से विशेष प्रस्तुति
सुनील प्रधान/ग्रेटर नोएडा
--------------------------------- आजादी की पहली लड़ाई 1857 की क्रांति में शहर के वीर योद्धाओं ने अहम भूमिका निभाई थी। ग्रेटर
नोएडा के वीर साहसी दरियाव सिंह गुर्जर समेत आस.पास के वीरों ने अंग्रेजों से कई
दिनों तक युद्ध किया था। जुनेदपुर गांव के आस.पास आज भी अंग्रेजों की कोठियां व
किले मौजूद हैं। दरियाव सिंह के खौफ के चलते कभी अंग्रेज इस इलाके में घुसने की
हिम्मत नहीं जुटा पाए थे। यहां तक की 12 मई 1857 को सिकंदराबाद तहसील पर धावा बोल
कर हथियार और अंग्रेजों का खजाना अपने अधिकार में कर लिया था। वहीं अंतिम मुगल
बादशाह बहादुरशाह जफर के कहने पर दादरी के राजा राव उमराव सिंह की अगुआई में मई
1857 में अंग्रेजों को दिल्ली की तरफ बढ़ने से रोक दिया था। साथ ही कई अंग्रेज
सैनिकों को बंदी बनाकर दादरी के खेतों में उनसे हल चलवाया था। हालांकि बाद में 40
से अधिक क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया और उन्हें बुलंदशहर के
कालेआम पर फांसी दे दी गई थी। आज भी इन शहीदों की याद में शहीदी दिवस पर कार्यक्रम
का आयोजन किया जाता हैं। बुलंदशहर के कालेआम पर सैकड़ों वीरों को अंग्रेजों ने फांसी
पर लटकाया था। शहीदों में जुनेदपुर के दरियाव सिंह भी सहासी क्रांतिकारी थे। इनके
नेतृत्व में आस.पास के ग्रामीणों ने अंग्रेजी सेना से कई दिनों तक युद्ध कर
अंग्रेजों से लोहा लिया था। दनकौर एरिया में अंग्रेजों की कोठी और किले मौजूद हैं।
मेरठ से आजादी की क्रांति की शुरुआत होने के बाद में दरियाव सिंह और उनके नेत्रत्व
मे ग्रामीण क्रांतिकारियों ने 1857 के गदर मे अंग्रेजी हुकुमत के छक्के छुड़ा दिए
थे। उन्होंने देशभक्ति से ओत.प्रोत कर आस.पास के लोगों को देश की आजादी के लिए
इक्ट्ठा कर लिया। खुद को मजबूत करने के लिए 12 मई 1857 को इन क्रांतिकारियों ने
सिकंदराबाद तहसील पर धावा बोल कर हथियार और खजाना अपने अधिकार में कर लिया। वहीं
सूचना मिलते ही बुलंदशहर से अंग्रेजी सेना सिकंदराबाद पहुंच गई। क्रांतिकारियों और
अंग्रेजी सेना के बीच हुए युद्ध में लोहा मनवाते हुए अंग्रेजों की काफी जनहानी की।
इस दौरान दरियाव सिंह गुर्जर समेत पांच वीर गुर्जर पकड़े गए। उन्हें बंदी बना लिया
और 14 मई 1857 को बुलंदशहर में कालेआम पर फांसी दे दी गई। वर्तमान में दरियाव सिंह
गुर्जर के नाम से चौक बनाया गया है। उनके नाम रोड का नामकरण किया गया है। शहीदी
दिवस पर हर साल इनके नाम से बड़े स्तर पर कुश्ती और मेले का आयोजन किया जाता हैं।
अंग्रेजों से चलवाया था हल। अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर की योजना के मुताबिक
दादरी के राजा राव उमराव सिंह ने मई 1857 में अंग्रेजों को दिल्ली की तरफ बढ़ने से
रोक दिया था। चिंगारी फूटने के बाद 12 मई 1857 को मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर ने
ब्रिटिश सैनिकों को रोकने की जिम्मेदारी दादरी के राजा राव उमराव सिंह को सौंपी थी।
राव उमराव सिंह के भाई बिशन सिंह, कृष्ण सिंह भगवत सिंह आदि ने गदर में अहम भूमिका
निभाई थी। राव उमराव सिंह समेत सभी लोगों दादरी क्षेत्र के नंगला नैनसुख के गुर्जर
जमीदार झंडु सिंह के नेतृत्व में कोट गांव में महापंचायत हुई। यहां अंग्रेजों से
लड़ाई लड़ने की रुपरेखा तैयार की गई। वहीं हिडन नदी पर अंग्रेजों के साथ युद्ध हुआ और
अंग्रेज सैनिकों को बंदी बना लिया। उमराव सिंह ने बैलों की जगह अंग्रेजों से खेतों
में हल चलवाया। अंग्रेजी सेना के 90 अरबी घोडे़ जब्त कर लिए गए। इसके बाद उधर दादरी
में राव उमराव सिंह, अनुपशहर में चौहान रानी, बल्लभगढ़ में नाहर सिंह व मालागढ़ पर
नवाब वलीदाद खां का अधिकार हो गया। 20 मई 1857 को राव उमराव सिंह, उनके भाई बिशन
सिंह व कृष्ण सिंह को बंदी बना लिया गया। उमराव सिंह को बुलंदशहर में काले आम पर
फांसी पर लटका दिया गया। यहां उनके भाईयों समेत कई क्रांतिकारियों को हाथियों के
पैरों के नीचे कुचलवा दिया। इनके साथ.साथ 78 अन्य वीरों को भी फांसी दी गई थी। इस
बार भी कार्यक्रम का होगा आयोजन। जुनेदपुर गांव में 14 मई को शहीद दरियाव सिंह नागर
की पुण्यतिथि पर माल्यार्पण व भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जुनेदपुर गांव के पास
स्थित शहीद दरियाव सिंह नागर चौक पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। साथ ही इस
दौरान आस.पास के ग्रामीणों के अलावा विभिन्न संगठन के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
यहां उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए युवा पीढ़ी को देश भक्ति के लिए प्ररित भी किया
जाएगा।