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सरिया व स्क्रैप के कारोबार में बढ़ता वर्चस्व भी रहा हरेंद्र नागर हत्याकांड का कारण

 


हरेंद्र नागर हत्याकांड कुख्यात सुंदर भाटी समेत 12 को आजीवन कारावास

 




मौहम्मद इल्यास/गौतमबुद्धनगर

----------------------------------------- गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय ने सपा नेता प्रधान हरेंद्र नागर हत्याकांड में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश सुंदर भाटी समेत 12 बदमाशों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि एक आरोपी को बरी किया है। इस केस की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश डा0 अनिल कुमार सिंह ने की। सरकारी अधिवक्ता सुखबीर नागर ने बताया कि अदालत ने 25 मार्च को सुंदर भाटी, योगेश, विकास पंडित, कालू भाटी, दिनेश भाटी, अनूप भाटी, यतेंद्र चौधरी, सोनू, बॉबी उर्फ शेर सिंह, ऋषिपाल, सिंघराज व सुरेंद्र पंडित को दोषी करार दिया था। अदालत ने गत 5 अप्रैल-2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की और सुंदर भाटी समेत 12 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही अदालत ने 1 लाख 80 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जबकि एक आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने पक्ष रखा कि लंबे समय से सभी आरोपी जेल में बंद है। इस वजह से कम सजा सुनाई जाए। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपियों द्वारा किया गया कृत्य गंभीर श्रेणी का है। कोर्ट ने सरकारी गनर भूदेव शर्मा के परिजनों को जुर्माने की रकम से 50 फीसदी हिस्सा देने के लिए कहा है। अदालत को इस केस में फैसला सुनाने में करीब 10 दिन लग गए, जबकि कुख्यात सुंदर भाटी समेत सभी आरोपियों को 25 मार्च को दोषी करार किया गया था, लेकिन सजा पर फैसला सुनाने में एक के बाद एक लगातार तारीख है कि बढ़ती रही। आखिर सोमवार 5 अप्रैल-2021 को इस केस में सुनवाई हुई और अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अदालत के फैसले पर काफी लोगों की निगाहें टिकी थीं।


 दनकौर क्षेत्र के दादूपुर गांव निवासी सपा नेता और प्रधान हरेंद्र नागर की 8 फरवरी 2015 को नियाना गांव में एक शादी समारोह में हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में हरेंद्र नागर के साथ उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा की भी हत्या हुई थी। इस हत्याकांड में हरेंद्र नागर के परिवार की तरफ से 9 लोगों को खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया था, जिसमें कुख्यात बदमाश सुंदर भाटी, सिंहराज और ऋषिपाल के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा था। पुलिस ने मामले की जांच के बाद 13 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। अदालत में सुनवाई के दौरान यह केस मुकाम पर पहुंच गया है। हरेंद्र नागर की हत्या के बाद पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि हत्या का अहम कारण उसका राजनीति और सरिया व स्क्रैप के कारोबार में बढ़ता वर्चस्व था। गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में होने वाले सरिये के अवैध कारोबार पर पहले सुंदर भाटी गिरोह का वर्चस्व था और सुंदर भाटी ही इस पूरे धंधे को चलाता था। खेड़ी गांव का जयचंद इस धंधे का मुख्य रूप से संचालन करता था लेकिन जयचंद की हत्या होने के बाद हरेंद्र का सरिया कारोबार पर वर्चस्व कायम होने लगा था, जिसको लेकर जहां सुंदर भाटी की बेचैनी बढ़ गई थी, वहीं जयचंद का साला कालू निवासी बील अकबरपुर भी अपने जीजा की हत्या का बदला लेने के लिए बेचैन था। कालू का मानना था कि हरेंद्र प्रधान ने सरिया के व्यापार को लेकर ही उसके जीजा की हत्या कराई थी। इस मामले की जांच में जुटी पुलिस ने एक आरोपी विकास पंडित को गिरफ्तार कर खुलासा किया था कि इस हत्याकांड की पूरी साजिश जेल में रची गई थी। दादरी थाना क्षेत्र के बील गांव निवासी कालू से उसकी गहरी दोस्ती थी। कालू का मानना था कि हरेंद्र प्रधान ने करीब 2 साल पहले उसके जीजा खेड़ी गांव निवासी जयचंद प्रधान की हत्या कराई थी। इसका बदला लेने के लिए कालू ने सुंदर भाटी से जेल में मुलाकात की थी। वहां सुंदर भाटी ने उसको दिल्ली निवासी जतन खत्री,

दादूपुर निवासी योगेश और राजू समेत कई बदमाशों से मिलवाया था। विकास पंडित, जतन खत्री, राजू, कालू और योगेश ने ही मिलकर हरेंद्र प्रधान की हत्या की थी। हरेंद्र के बढ़ते सियासी कद से सुंदर भाटी को भी चिंता होने लगी थी और उसे लगता था कि हरेंद्र नागर यदि राजनीति में ऐसे ही बढ़ता रहा तो वह उसके लिए चुनौती बन सकता है। सुंदर भाटी की पत्नी सुनीता भाटी दनकौर ब्लॉक की प्रमुख रही है और इस प्रमुख सीट पर भी वह दावेदारी कर सकता है। सुंदर भाटी स्वयं भी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता था। इसमें भी वह हरेंद्र नागर को अड़चन मानने लगा था, क्योंकि हरेंद्र भी जेवर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में था। इसी वजह से सभी ने एकजुट होकर हरेंद्र नागर की हत्या की थी, जिसके बाद सपा ने हरेंद्र की पत्नी बेवन नागर को जेवर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। हरेंंद्र नागर हत्याकांड में सुदंर भाटी के खिलाफ गवाही से रोकने के लिए कई बार पीडित परिवार के लोगों पर हमले भी हुए। हरेंद्र नागर के भाई रवि नागर को भी पता था कि वह बड़े बदमाश के खिलाफ केस लड़ रहे हैं। वह और उनके परिवार के सदस्य फैसला कर चुके थे कि वह हर हाल में हरेंद्र के हत्यारों को सजा दिलवाकर रहेंगे। इस मामले में आरोपियों ने हरसंभव प्रयास किया था कि गवाही न होने पाए, लेकिन वह स्वयं और उनका चचेरा भाई विकास और गाड़ी का ड्राइवर आजाद गवाही से पीछे नहीं हटे और सभी ने गवाही दी। गवाही से रोकने के लिए 8 बार उन पर भी हमला किया गया था और अनेक बार उनकी हत्या की साजिश भी रची गई, लेकिन उन्होंने गवाही दी। इस हत्याकांड में हरेंद्र के गनर ने मरते-मरते भी शूटरों से जमकर लोहा लिया था और एक शूटर को मौके पर ही मार गिराया था। हालांकि, इस दौरान सरकारी गनर की भी मौत हो गई थी। हरेंद्र नागर की हत्या उस दिन की गई जब वह ग्रेटर नोएडा के नियाना में अपने एक परिचित प्रकाश भाटी की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे। हरेंद्र नागर के सरकारी गनर भूदेव शर्मा और एक निजी नगर भी उनके साथ था। जब हरेंद्र प्रधान अपनी गाड़ी में बैठने जा रहे थे, तभी बदमाशों ने उन पर गोलियां बरसा दी थीं। इस फायरिंग में हरेंद्र और उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा की मौत भी हो गई थी।