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करीब 10 हजार करोड रूपये के बाइक बोट पोंजी घोटाले में दिनेश पांडेय की जमानत याचिका नामंजूर

 


 


विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने की, करीब 10 हजार करोड रूपये के बाइक बोट घोटाले में अभियुक्त दिनेश पांडेय की जमानत याचिका नामंजूर

 






मौहम्मद इल्यास/गौतमबुद्धनगर

-----------------------------------विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने करीब 10 हजार करोड रूपये के बाइक बोट पोंजी घोटाले में दिनेश पांडेय की जमानत याचिका नामंजूर कर दी है। गौतमबुद्धनगर विशेष न्यायालय ने माना कि अभियुक्त दिनेश पांडेय कंपनी समग रियालटी, फेयर विल्टेक, सामग इण्डस्ट्री में डायरेक्टर हैं एवं जेनिथ टाउनशिप के आर00सी0 के अनुसार फार्म 12 पर मेल आईडी अभियुक्त दिनेश पांडेय की आईडी लगी है। यही नहीं अभियुक्त दिनेश पाडेय द्वारा संजय भाटी व ंबिजेन्द्र सिंह हुड्डा से साज गांठ कर जी०आई०पी०एल० कंपनी व उसकी सिस्टर कम्पनियों में जमा निवेशकों की धनराशि को अपनी कंपनी में डायवर्ट किये जाने का अपराध किया है। कंपनियों में 145 करोड़ 55 लाख रूपये की धनराशि प्राप्त की गई है। जिसमें से 80 करोडा 65 लाख रूपया वापस किया गया है, जो बिना किसी विधिक एग्रीमेन्ट के कार्यवाही संपन्न की गई है। बाइक टैक्सी चलाने के नाम पर देश के करीब तीन लाख लोगों से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी करने का मामला खासा सुर्खियों में है। इस कंपनी का मुख्य कर्ता.धर्ता संजय भाटी सहित करीब 51 आरोपी शामिल रहे हैं। इनमें बाइक बोट कंपनी के कई निदेशकों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कई भी फरार हैं। पुलिस ने फरार निदेशकों पर इनाम घोषित किया है और जिनकी गिरफ्तारी के लिए ईओडब्ल्यू व एसटीएफ की टीमें विभिन्न स्थानों पर दबिशें दे रही हैं। गौरतलब है कि गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड ( बाइक बोट )  के नाम से संजय भाटी व उसके अन्य साथियों ने एक बाइक टैक्सी चलाने की कंपनी शुरू की। इन लोगों ने करीब 200 प्रतिशत मुनाफा कमाने का लालच देकर प्रति बाइक के नाम पर 62,100 रुपये निवेश करवाया तथा उसके एवज में इन लोगों ने उन्हें 9,765 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 12 महीने तक देने का वादा किया। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों से करीब तीन लाख निवेशकों ने इस कंपनी में पैसे लगाए। जब कंपनी के मालिक संजय भाटी, सचिन भाटी, पवन भाटी, आदेश भाटी, राजेश भारद्वाज, करण पाल, दीप्ति बहल, विजयपाल कसाना आदि ने निवेशकों से करीब 10 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए तो वे उन्हें धोखा देकर फरार हो गए। इस ठग कंपनी में करीब 51 लोग शामिल हैं। इस मामले में गौतमबुद्धनगर में दर्जनों मुकदमे दर्ज किए हैं, जबकि देश के विभिन्न जगहों पर 500 से ज्यादा मामले अब तक दर्ज हो चुके हैं। जमानत प्रार्थना पत्र संख्या 3115 सन 2021,यूपीजीबी 01 00 9753/2021,दिनेश पाण्डे प्रति उत्तर प्रदेश राज्य न्यायालय.विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर में सुनवाई हुई।


सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर धमेंद्र जैंत ने बताया कि  प्रार्थी/अभियुक्त की ओर से मुकदमा अपराध संख्या 866 सन् 2019 धारा.406, 409, 420, 467, 468, 471, 201, 120 बी भारतीय दण्ड संहिता 58 बी उपधारा -4- आर0बी0आई अधि0 1934, 58, कंपनी अधि0 1956, थाना.दादरी, जिला.गौतम बुद्ध नगर में जमानत हेतु प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया है। वादिनी स्वाति धमेजा द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत करायी गई कि उसे अखबार के माध्यम से वर्ष 2018 में बाईक बोट स्कीम का पता चला। उसे पता चला कि गर्वित इन्नोवेटिस प्रमोटस लिमिटेड कंपनी के मालिक संजय भाटी व सचिन भाटी है और कंपनी के अन्य डायरेक्टर विजय कसाना, राजेश भारद्वाज,करनपाल सिंह, दीप्ति बहल है और कंपनी रजिस्टर्ड है। वादिनी दिनांक 01-08- 2018 को कंपनी के कार्यालय गईं। वहा मौजूद उपरोक्त अधिकारियों ने धनराशि एक बाईक बोट कंपनी में लगाए जाने के संबंध में बताया जो उक्त कंपनी के डायरेक्टर भी थे। गर्वित इन्नोवेटिव प्रोमोटर्स लि0 कंपनी में एक मोटर साईकिल के लिए प्रति मोटर साईकिल 62,.100/.रुपये जमा किए जाने की एवज में गर्वित इन्नोवेटिस प्रोमोटर्स लि0 ने प्रति प्रति मोटर साईकिल किराया तथा जमा की गई कुल धनराशि को 12 मासिक किस्तों के रूप में 12 मास तक चुकाने का एग्रीमेण्ट किया। वादिनी द्वारा उक्त कंपनी में 51 बाईक बोट लगाई गई परंतु उससे धनराशि निवेश करवाने के बाद उसको पूर्व निर्धारित एग्रीमेण्ट के अनुसार मासिक किराया तथा मासिक किस्त नहीं दी गई। इस मामले में बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा जमानत दिए जाने के आधार में कहा गया कि प्रार्थी/ अभियुक्त को झूठा इस केस में फंसा दिया गया है। अभियुक्त कोई अपराध कारित नहीं किया है। उक्त धाराओं के अधीन अपराध गठित नही होता है। प्रार्थी/अभियुक्त एक व्यापारी है और कोई पूर्वकालिक अपराधिक इतिहास नहीं है। प्रार्थी/अभियुक्त को नियमानुसार अभिरक्षा में नहीं लिया गया जिस कारण रिमाण्ड निरस्त किए जाने हेतु एक प्रार्थनापत्र दिनांक 11-01-2021 को दिया गया। प्रार्थी/अभियुक्त को कारण बताए बिना नियम विरूद्ध तरीके से गिरफ्तार कर कारागार भेज दिया गया है। विवेचना में प्रार्थी/अभियुक्त के विरूद्ध कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है। प्रार्थी/अभियुक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित अभियुक्त नहीं है और नियम कानून का पालन करने वाला नागरिक है। साथ ही प्रार्थी/अभियुक्त द्वारा कोई आर्थिक लाभ प्राप्त नहीं किया गया है। प्रस्तुत प्रकरण मजि0 न्यायालय द्वारा विचारणीय है। प्रस्तुत प्रकरण में विवेचनोपरान्त आरोप पत्र प्रेषित किया जा चुका है एव विवेचना हेतु कुछ अवशेष नहीं है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा यह भी दलीलें दी गई कि प्रार्थी/ अभियुक्त उक्त कंपनी में न तो डायरेक्टर रहा है और न ही प्राधिकृत हस्ताक्षरी है। आरबीआई व कंपनी नियम में आर्थिक अपराध शाखा को गिरफ्तार किए जाने का अधिकार नहीं है। उसकी गिरफ्तारी अवैध है। बिना कारण बताए उसको गिरफ्तार कर लिया गया है। धारा 50 दण्ड प्रक्रिया संहिता व धारा 32 भारतीय संविधान का उल्लंघन है। 267 दण्ड प्रक्रिया संहिता प्रोटेक्शन वारण्ट की श्रेणी में आता है। विवेचक द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से वारण्ट लिया गया है। उक्त आधार पर जमानत प्रदान कर दी जाए। कथन समर्थन में प्रलेखों की छाया प्रतिलिपिया व कई नजीरें भी पेश की गईं। जिला शासकीय अधिवक्ता( दाण्डिक ) गौतमबुद्धनगर धमेंद्र जैंत ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि जी०आई०पी०एल० कंपनी के एम.डी. संजय भाटी ने बाईक बोट स्कीम चालू कर देश की भोली.भालि जनता से जी०आई०पी०एल० व उसकी सिस्टर कंपनी आईटीबी, पाईमैक्स, ब्रॉडकास्ट आदि विभिन्न कंपनियों में षडयन्त्र के तहत करीब 4,000 करोड रूपये जमा कराए। अभियुक्त दिनेश पांडेय कंपनी समग रियालटी, फेयर विल्टेक, सामग इंडस्ट्री में डायरेक्टर हैं एवं जेनिथ टाउनशिप के आर00सी0 के अनुसार फार्म 12 पर मेल आईडी अभियुक्त दिनेश पांडेय की आईडी लगी है। दिनेश पाण्डेय द्वारा संजय भाटी व बिजेंद्र सिंह हुड्डा से साज गांठ कर जी०आई०पी०एल० कंपनी व उसकी सिस्टर कम्पनियों में जमा निवेशकों की धनराशि को अपनी कंपनी में डायवर्ट किए जाने का अपराध किया है। कंपनियों में 145 करोड़ 55 लाख रूपये की धनराशि प्राप्त की गई है। जिसमें से 80 करोड 65 लाख रूपया वापस किया गया है, जो बिना किसी विधिक एग्रीमेन्ट के कार्यवाही संपन्न की गई है। यही नहीं अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत विधि व्यवस्था प्रस्तुत प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों से भिन्न होने के कारण लागू नहीं होते है।  अभियुक्त के विरूद्ध प्रस्तुत अभियोग के अतिरिक्त अन्य अभियोग भी प्रकाश में आए हैं। इस प्रकार अभियुक्त के विरूद्ध कुल 10 अभियोगों का अपराधिक इतिहास है। गर्वित इन्नोवेटिस प्रोमोटर्स लि0 बाईक बोट कंपनी के घोटाले में कई हजार करोड रूपये का आर्थिक अपराध संलिप्त है प्रस्तुत मामला आर्थिक घोटालों से संबन्धित कहा गया है। इस संबंध में विधि व्यवस्था शिवराज सिंह उर्फ छुट्टन प्रति उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2009 -65- एसीसी पेज 781 ;इलाहाबाद डबल बैंच व मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद के पत्रांक संख्या 15336/2010 एडमिन जी.11 दिनांकित 20- 09- 2010 के प्रकाश में प्रतिपादित विधिक सिद्धान्तों के आलोक में जमानत प्रार्थनापपत्र निरस्त किए जाने योग्य है। संबंधित पक्ष के विद्वान अधिवक्ताआेंं को सुनने और सबूतों को मद्दनेजर रखते हुए विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम गौतमबुधनगर वेदप्रकाश वर्मा ने अभियुक्त दिनेश पांडेय के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है।