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आतिशबाजी से दूरी बनाओ, आपसी भाईचारे को मजबूती मिले, खुशियों के दीप जलाओ

 


जय जवान, जय किसान, जय हिंद, जय भारतवासी पवित्र त्यौहारों की खुशियां मनाओ

 


चौधरी शौकत अली चेची

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दुनिया आनी जानी हैं, इतिहास लिखे जाते हैं। सभी जाति धर्म मैं त्यौहारों को अलग अलग परंपराओं से मनाया जाता हैं। त्यौहारों का मुख्य उद्देश्य आपसी भाईचारा, सौहार्द, प्यार, सम्मान, अमन चैन और कायम करना है। ैं लेकिन इस दौर में यह बातें धूमिल दिखाई दे रही हैं। शूरवीर, अवतार महापुरुष, औलिया, पैगंबर, देवी देवताओं के नाम से हमे अच्छी प्रेरणा, सौहार्द, सुख समृद्धि का संदेश मिलता है और जिससे  हम सच्चे मार्ग से नहीं भटके। त्यौहारों पवित्र धर्म ग्रंथों का अनुसरण कर उनके आदर्शों का पालन कर देश दुनिया और समाज को मजबूती व तरक्की की तरफ लाते हैं। वैसे तो हर त्यौहारों में हर कहानियों में शोधकर्ताओं के अलग.अलग विचारों से अवगत कराया गया है।  राजा दशरथ के तीन रानियां थी कौशल्या, केकई और सुमित्रा। इनके के चार पुत्र थे सबसे बड़े रामचंद्र जी, भरत और लक्ष्मण व शत्रुघ्न। कौशल्या रामचंद्र जी की माता थी और माता केकई के कहने से रामचंद्र जी ने 14 वर्ष का वनवास काटा जिसमें लक्ष्मण जी और देवी सीता जी साथ थीं। इतिहास में यह भी कहा गया है श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को तीरथ कराने के लिए ले जा रहे थे माता पिता के आदेश अनुसार श्रवण कुमार पानी की प्यास लगने पर राजा दशरथ के तालाब से घड़े से पानी भरा तो राजा दशरथ ने जानवर समझ कर तीर छोड़ दिया जो श्रवण की छाती  मैं लगा और राजा दशरथ श्रवण कुमार जी के पास पहुंचे उन्होंने सारा हाल बताया। राजा दशरथ श्रवण के माता.पिताओं को पानी पीने के  लिए उनके पास पहुंचे और श्रवण की मृत्यु का कारण बताया। श्रवन के माता पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया कि जिस वजह से हम अपने बेटे के वियोग में मर रहे हैं तुमको भी वहीं सजा मिलेगी। इस वजह से 14 वर्ष का वनवास रामजी को काटना पड़ा। रामचंद्र जी ने मां.बाप की आज्ञा का पालन कर बेटे का फर्ज निभाया और लक्ष्मण ने भाई होने का गौरव हासिल किया और माता सीता ने पत्नी होने का फर्ज अदा किया। बताया जाता है कि अपनी मुक्ति के लिए रावण ने देवी सीता का हरण किया। हनुमान जी और वानर सेनाओं ने सेवक होने का गौरव हासिल किया तथा जटायु आदि ने सच्चाई के लिए अपने प्राण त्याग दिए और  धर्मग्रंथों में अपना नाम दर्ज कराया।


धर्मग्रंथों में इन वृतांतों को दर्शाने का मुख्य उद्देश्य त्यौहारों के माध्यम से जागरूकता का संदेश माना गया है। ताकि हमें गलतियों से नुकसान का खामियाजा न भुगतना पड़े और असली मकसद की गहराई तक पहुंच कर पाप व पुण्य पर खोज कर सकें। एक भाई राम थे, हनुमान जी सेवक थे जिन्होंने लक्ष्मण की जान बचाई। एक भाई रावण थे जिन्होंने सब कुछ ज्ञान होने के अनुसार उसका दुरुपयोग किया और अपनों के दुश्मन बन अपने भाई विभीषण के माध्यम से रामचंद्र जी को सच्चाई बता कर मृत्यु को प्राप्त हुए। भरत  ने रामचंद्र जी की चरण खड़ाहूं ले जाकर  रामचंद्र जी के अयोध्या वापस आने तक राजकाज को चरण खड़ाऊ को आधार बनाकर चलाया। रामचंद्र जी, लक्ष्मण जी, सीता जी वन से वापस अयोध्या जब आए, उसी खुशी में दीप जलाकर खुशियां मनाई और उसी उपलक्ष्य में ये दीपावली के नाम से महापर्व मनाया जाता है। कुछ लोग  भगवान श्री कृष्ण जी और भगवान विष्णु जी को भी दीपावली के पवित्र त्यौहार से जोड़कर देखते हैं। धनतेरस त्यौहार मुख्य रूप से इसी कड़ी में नए बर्तन खरीदना दर्शाया गया है, जिसमें लक्ष्मी जी की प्राप्ति होती है। कुछ लोग आभूषण भी खरीदते हैं। आज के युग में कुछ लोग अपनी सोच के अनुसार और बहुत सारे सामानों की खरीद्दारी करते हैं। दीपावली के पावन पर्व पर लक्ष्मी जी की आदि देवी.देवताओं की भी पूजा की जाती है। सुख शांति तरक्की और समृद्धि बाद गौर्वधन और फिर भैया दूज का यानी भाई बहन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है। इसमें भाई बहन के मिलन को मुख्य बिंदुओं पर दर्शाया गया है जो खून के रिश्ते को मजबूती देता है उमंग और जिम्मेदारी का एहसास कराता है। जय जवान, जय किसान, जय हिंद, जय भारतवासी पवित्र त्यौहारों की खुशियां मनाओ। आतिशबाजी से दूरी बनाओ, आपसी भाईचारे को मजबूती  मिले खुशियों के दीप जलाओ।

लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज  ) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।