BRAKING NEWS

6/recent/ticker-posts

Header Add

करीब 2 लाख वर्ग मीटर तक की भूमि पर यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का फिर पीला पंजा चला

 







प्लाटिंग/अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही कर अतिक्रमण दस्ते ने लगभग 200 करोड़ रूपये की भूमि को मुक्त कराया

 







यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में कहीं भी यदि अवैध निमार्ण होता है तो तत्काल ध्वस्तीकरण की कार्यवाही अमल में लाएंः डा0 अरूणवीर सिंह

 


मौहम्मद इल्यास/यीडा

यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में फिर पीला पंजा चला और अतिक्रमण दस्ते ने करीब  2 लाख वर्ग मीटर तक की भूमि से अवैध निमार्ण ढहा दिया। पिछले दिनों से अतिक्रमण हटाओ अभियान में अवैध निमार्ण को हटाने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का दस्ता लगा हुआ है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यापालक अधिकारी डा0 अरूणवीर सिंह ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र के अंतर्गत बिना अनुमति किए गए अवैध निर्माण के विरुद्ध उत्तर प्रदेश इन्डस्ट्रीयल डेवलपमेंट एक्ट 1976 की धारा.10 के अंतर्गत योजित वाद में पारित आदेश के अनुपालन में दिनांक 29-10-2020 को ग्राम.टप्पल व खण्डेहा तहसील.खैर, जनपद.अलीगढ़ स्थित 15 खसरा संख्याओं के सापेक्ष लगभग 2 लाख वर्ग मीटर भूमि जिसका वर्तमान बाजारू मुल्य लगभग 200 करोड़ रूपये है,पर किए गए प्लाटिंग/अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की गई है। उन्होनें बताया कि संबंधित अधिकारियों को और विशेष कर भूलेख विभाग, परियोजना विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में कहीं भी यदि अवैध निमार्ण होता है तो तत्काल ध्वस्तीकरण की कार्यवाही अमल में लाएं। इसके लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मद्द ली जाए और किसी भी तरह की कोताही अवैध निमार्ण के ढहाने में न बरती जाए। उन्होंने बताया कि समय.समय पर लोगों को सावधान करने के लिए समाचार पत्रों में सार्वजनिक सूचना का प्रकाशन भी कराया गया था, यदि  फिर भी किसी व्यक्तित अथवा संस्था द्वारा उक्त संस्था/व्यक्ति से किसी प्रकार की कोई खरीद.फरोख्त की जाती है तो इस ध्वस्तीकरण से होने वाले किसी भी प्रकार की लाभ/हानि के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी, उसके लिए संबंधित भूमि पर कर रहे अवैध निर्माणकर्ता/कॉलोनाइजर्स के संचालक सदस्यगण ही जिम्मेदार होंगे।