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गर्व से कहो, हम आर्य हैं


आचार्य करणसिह      नोएडा 
डा मुमुक्षु जी के लेख पर समीक्षा 
 आप अपने लेख में सिंधु से सेंधव का अपभ्रंश हिंदू शब्द को परिभाषित कर रहे हैं। तो आइए इस पर कुछ विचार करें
    हिंदू कौन है, हिंदू शब्द का उद्भव किस प्रकार हुआ? हिंदू शब्द की परिभाषा क्या है? 
इस पर जितने विद्वान हैं उतने ही मत है। सत्य सनातन वैदिक धर्म के किसी ग्रंथ में भी हिंदू शब्द नहीं आया है।
 आमतौर से अक्सर पढ़े लिखे लोग भी यह कहते नजर आते हैं कि मुसलमान जब देश में बाहर से आए तो उन्होंने सिन्धु को हिंदू कर दिया। क्योंकि उनकी भाषा मे 'स' को 'ह' से बदल दिया जाता था। जैसे सप्ताह को भी हफ्ता कहते थे, उन लोगों ने सिंधु नदी के पार के लोगों को हिंदू कहना शुरू किया और देश को हिंदुस्तान नाम दिया। इस बहुचर्चित व्याख्या के आधार बहुत कमजोर है। सप्ताह को हफ्ता फारसी भाषा में कहते हैं। फारसी भाषा में दो-एक संस्कृत शब्दों के स्थान पर बोलने से यह नियम नहीं बन जाता कुछ शब्दों के अतिरिक्त से  उसे बदलने की नीति फारसी में हमें नहीं दिखाई देती है। समुद्र को फारसी में हमुद्र नहीं कहते हैं। सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करने वालों ने उसे होम नाथ नहीं कहा, सत्य को फारसी में हत्य नहीं सच कहते हैं। बहुत उदाहरणों की आवश्यकता नहीं पाकिस्तानी क्षेत्र में पडने वाला सिंध क्षेत्र वहां आज भी सिंध कहलाता है। हिंद नहीं इसीलिए यह विचार निराधार है कि सिंधु कैसे बदलने पर हिंदू शब्द बना।
           फिर हिंदू शब्द का अर्थ क्या है इसे हिंदू कहना उचित है।  कुछ ने इसे धर्म वाचक शब्द कहा परंतु हम देखते हैशुद्ध एकेएश्वरवादी भी हिंदू होते हैं। करोड़ों देवी देवताओं में आस्था रखने वाले भी हिंदू कहलाते हैं ,और ऐसे भी हिंदू होते हैं जो नास्तिक हैं और ईश्वर को तिरस्कार करने वाले भी हिन्दु होते है। वेद के मानने वाले भी हिंदू होते हैं। और उनका तिरस्कार करने वाले भी हिंदू हैं। बहुत से हिंदू गीता को पवित्र ग्रंथ मानते हैं और ब्रह्मा कुमारी मत के अनुयाई भी हिंदू कहलाने के हकदार हैं। जो लोग प्रचलित गीता को मनगढ़ंत मान कर बाबा लेखराज के शब्दों को गीता कहते हैं। ब्रम्हाकुमारी निरंकारी मंडल,लिंगायतख की मान्यताएं पर बिल्कुल भिन्न होने के बावजूद इन सभी के अनुयाई हिंदू कहलाते है । आर्य समाज के मानने वालों को भी हिंदू ही गिना जाता है। सैकड़ों हजारों मतों की आशाओं की मिसाल देकर यह सूचित किया जा सकता है कि किसी विशेष आस्था या धार्मिक मान्यता से कोई संबंध नहीं है।
        एक विचारधारा यह भी है कि हिंदू धर्म नहीं जीवन पद्धति है। सुनने में यह चाहे कितना ही अच्छा लगे जीवन पद्धति हमारे देश के हर प्रांत के निवासियों की जुदा है,शाकाहारी अंडाहारी, मांसाहारी, और गौ मांस खाने वाले सभी प्रकार के हिंदू भारत में है। हिंदुओं को अंतिम संस्कार में चिता पर भी जलाया जाता है, और कब्र में भी दफनाया जाता है, हिंदू नर नारी धोती ,साड़ी भी पहनते हैं और पजामा, कुर्ता ,सलवार, जंपर पैंट, शर्ट शेरवानी के स्कर्ट, ब्लाउज आदि हिंदुओं के पहनावे में जीवन पद्धति भी कोई भी व्याख्या करें तो हिंदुओं की बड़ी संख्या उसके अंतर्गत नहीं आएगी।
             बहुत से लोग हिंदू शब्द को स्थान वाचक मानते हैं यदि हिंदू शब्द या भारत में रहने वाले हिंदू कहलाए तो न केवल सभी भारतीय मुसलमान ईसाई व अन्य धर्मावलंबी हिंदू कहेम जाएंगे बल्कि विदेशों में जन्मे हिंदू हिंदू नहीं रहेंगे।
       वर्तमान समय में एक परिभाषा यह भी लोकप्रिय हुई कि जिस की पितृभूमि भी भारत हो और साथ ही पुण्य भूमि भारत हो वही हिंदू कहलाएगा पितृभूमि होने का अर्थ यह बताया गया कि चाहे वह छह सात पीढ़ियों से फिजी मॉरीशस या अन्य देशों में जन्मे रहते हो चले आए हो जाए उनका भारतीय भाषा में शुद्धता से कोई नाता नहीं रहा लेकिन उनके पूर्वज भारत में जन्मे हो पुण्य भूमि का अभिप्राय यह कहा गया कि उनके तीर्थ भारत में हो ना कि मक्के मदीने में तथा भारत की भूमि के पवित्र होने में उनकी आस्था और अब इसे क्या कहें कि कुछ वर्गों को निकाल कर एक वर्ग विशेष को हिंदू
 शब्द के अंतर्गत लाने का यह प्रयास भी असफल ही है हर ऐसे प्रयास को असफल होना ही है जिसमें हिंदू शब्द को उसके अज्ञात मूल से हटाकर अपने मनचाहे वर्ग विशेष से इसे संबंधित करने का प्रयत्न किया गया है सनातन धर्म सत्य सनातन सत्य सनातन वैदिक धर्म के अनुसार वेदों का आदि ग्रंथ होना आर्यो का उत्पत्ति होना अनुसार विश्व के प्रथम मनुष्य भारत में होना इन दोनों से सिद्ध होता है कि मानव जाति का उद्भव भारत में हुआ इस आधार पर इस तथ्य के अनुसार संसार के सभी मनुष्य के पूज्य पूर्वज भारतीय थे  इस प्रकार यदि पितृ भूमि होने के लिए एक दो पीढ़ियों की शर्ते लगाई जाए तो समस्त मानव जाति की भूमि भारत होगी यह प्रमाणित होने के लिए एक दो या कुछ ही दिनों पहले भारत में जन्म लेने की शर्ते लगाई जाए जो विदेशों में बसने वालों की एक बड़ी संख्या हिन्दु कहलाने की हकदार होगी विदेशों में आज जो हिंदू हैं उनको हिंदू कहने का अधिकार खो बैठे हैं इसी प्रकार जब तक हिंदू होने के लिए विदेशों में सोने का प्रश्न है जिनके तीर्थ स्थल कैलाश मानसरोवर में है उन्हें क्या कहें आर्य समाज की मान्यता से तीर्थ स्थल भारत में हो या किसी अन्य स्थान पर हैं आर्य समाज के तीर्थ स्थल को मान्यता नहीं देता है।
            वास्तविकता यह है कि हिंदू शब्द के मूल पर विचार करके समझना होगा कि हिंदू कौन है किसी विशेष वर्ग को हिंदू मानते हिंदू शब्द को परिभाषित करना बदलाव के बाद में अफगानिस्तान से जो मुसलमान भारत आए उनसे शताब्दियों पहले हिंदू शब्द का प्रचलन था हजरत मोहम्मद के जन्म से पूर्व भी पर्व निवासी हमारी सुंदर भारत भूमि को हिंदू कहते थे अरब देशों में सुंदर स्त्रियों का नाम हिंदर आ जाता था अरब में अंको को हिंदुस्ता कहते हैं क्योंकि भारत से ही अंक गांव वालों ने सीखी थी मोहम्मद ने फरमाया कि उन्हें हिंद से जन्नत स्वर्ग खुशबू आती है बहुत से देशों के संकलन में हिंदू शब्द भारत के लिए प्रयुक्त हुआ है उल्लेखनीय है कि अरब निवासियों की भाषा अरबी फारसी के विषय में एक कल्पित किया गया कि उसमें से को है दिया जाता है परंतु अरबी भाषा के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता यह भी विचारणीय है कि अरब में दोनों नाम साथ-साथ सिंधु नदी के दोनों तरफ के क्षेत्रों के लिए चले आ रहे थे अभिप्राय यह है कि हिंदू नाम अरबी मूल का है भारत में मुस्लिम शासकों के आने से बहुत पहले सातवीं शताब्दी में मुस्लिम व्यापारी केरल के मालामाल होते हुए भारत आने लगे थे और तभी से स्थानीय लोगों ने इस्लाम स्वीकार ना शुरू कर दिया था दक्षिण भारत की ओर से आने वाले मुसलमानों ने इस देश को हिंद कहा जो बाद में अपनी मूल के लोगों द्वारा हिंदुस्तान का और व्यापारियों द्वारा सातवीं शताब्दी में भारत के निवासियों को हिंदी भाषा में हिंदी कहते हैं इस तथ्य से भी बात होती है जो मुस्लिम में भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश से हज करने जाते हैं इन हिंदी कहा जाता है जिसका अर्थ है हिंदू कुछ समय बाद स्थानीय लोगों ने भारत के वासियों के लिए हिंदी के बजाय हिंदू शब्द का प्रयोग किया।
           उपर्युक्त लेख से सिद्ध होता है कि सत्य सनातन वैदिक धर्म में कहीं भी हिंदू शब्द नहीं आया है और हिंदू शब्द हमें विदेशियों द्वारा ही दिया गया है इसको हमें स्वीकार कर लेना चाहिए हम आर्य हैं और सभी ग्रंथों में आर्य शब्द का ही प्रयोग हुआ है तो हमें आर्य ही लिखना चाहिए गर्व से कहो हम सब आर्य हैं।