मुहर्रम जुलूस पर कोरोना संकट के बादल
विजन लाइव/नई दिल्ली
कोरोना महामारी पूरे विश्व में तबाही मचा रही
है। इसके साथ ही कोरोना महामारी ने लोगों की आस्था और संस्कृति पर भी करारी चोट की
है। भारत में कोरोना मरीजों की कुल संख्या करीब 33 लाख पहुंच चुकी
है और वहीं करीब 60 हजार लोग अब तक मौत के मुंह में जा चुके हैं।
आस्था और संस्कृति की बात करें तो भारत जैसे देश में जहां धर्म और संस्कृति अहम
है। मार्च-2020 के अंतिम सप्ताह जब से देश भर में लॉकडाउन लागू
हुआ था तब से त्यौहारी सीजन शुरू हुआं। बात चाहे चेत्र के नवरात्रों की हो या फिर
शबे बरात या फिर ईदुल फितर अथवा महाशिवरात्रि, हरियाली,
तीज,
रक्षाबंधन
और हाल में मनाई गई श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी व
ईदुल अजहा की हो कोरोना ने गहरी चोट की है। सरकारी गाइडलाइन में इन सभी पर्वो को
घर में रह कर मनाए जाने की बात की गई। जान तो जहान है की बात कहते हुए लोगों ने
बेमन से ही सही यह सभी त्यौहार पूरी सादगी से घरों पर रह ही मनाए। अब बात आती है
कि मुहर्रम, दशहरा और दीपावली, छूठ पूजा की बात
तो यह नही लगता कि जब तक कोरोना का कहर कम हो जाएगा। मुहर्रम की बात करें तो
इस्लामी तवारीख में मुहर्रम का बडा महत्व है। इमाम हुसैन की शहादत की याद ताज करने
के लिए ताजियों का जुलूस निकाला जाता है। मुस्लिमों में भी मुहर्रम का महत्व शिया
समुदाय मेंं ज्यादा माना जाता है। किंतु इस बार मुहर्रम का जुलूस कोरोना कहर के
चलते हुए नही निकाल जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम के जुलूस की अनुमति देने
से साफ इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह ऐसे आदेश पारित नहीं करेगा
जो इतने लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दे। इसके साथ याचिकाकर्ता को इलाहाबाद
उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे अराजकता हो सकती
है और कोरोना वायरस को फैलाने के लिए एक समुदाय को निशाना बनाया जा सकता है। चीफ
जस्टिस एस.ए. बोबडे ने कहा कि अगर हम देशभर में मुहर्रम पर जुलूस निकालने की इजाजत
देते हैं तो इससे अराजकता हो जाएगी और एक समुदाय को कोविड.19 महामारी
फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के शिया
धर्म गुरू सैयद कल्बे जव्वाद की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। शिया धर्म गुरू
सैयद कल्बे जव्वाद देशभर में शनिवार और रविवार को मुहर्रम जुलूस की इजाजत चाह रहे
थे। याचिका पर अदालत की तरफ से रथ यात्रा फेस्टिवल की अनुमति का हवाला दिया गया
था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने कहा कि आप पुरी जगन्नाथ यात्रा का
संदर्भ दे रहे हैं, जो एक जगह पर और एक रुट पर तय था। उस केस में
हम खतरे का आकलन कर आदेश दिया था। दिक्कत ये हैं कि आप देशभर के लिए आदेश देने की
इजाजत मांग रहे हैं। चीफ जस्टिस ने यहां तक कह दिया हम सभी लोगों को स्वास्थ्य को
खतरे में नहीं डाल सकते। अगर आपने एक जगह के लिए इजाजत मांगी होती तो हम उस खतरे
का आकलन कर सकते थे।