खेत में किसान
सीमा पर
जवान भारत
देश की
यही है
मुख्य पहचान,
सच्चाई की
आवाज भारत
के हर
कोने में
जानी चाहिए
चौधरी शौकत अली
चेची
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किसान,गरीब और
मजदूर अपने
दर्द को
लेकर सोता
है और
नींद से
जागता है।
गहरे दर्द
की आवाज
को भागदौड़
की जिंदगी
में सब
कुछ भूल
जाता है।
इस दौर
में ऐसा
ही चल
रहा है
कि जाति
धर्म की
द्वेष भावना
में सच्चाई
दब जाती
है कराहट
की आवाज
चंद बुद्धिजीवियों
द्धारा सुनाई
देती। दुर्भाग्य
है किसान
अपने उत्पाद
की कीमत
नहीं रख
सकता जबकि
90 प्रतिशत किसान अपनी जरूरत की
वस्तुओं को
खरीद कर
टैक्स देता
है और
ईमानदारी खून
पसीने की
कमाई से
अपने परिवार
की परवरिश
कर देश
की आर्थिक
व्यवस्था को
भी संभालता
है। सरकारों
की तरफ
से घोषणाएं
और योजनाएं
कागजों तक
ही सीमित
रह जाती
हैं राजनीतिक
और पावरफुल
इंसान उसका
लाभ उठाकर
किसानों के
हक को
खा जाते
हैं। किसान
बेचारा मुसीबतों
का मारा
सरकारों से
आस लगाता
है। बेमौसम
बरसात, सूखा
प्राकृतिक आपदाएं सभी किसानों पर
कहर बरपाती
हैं। अन्नदाता
को हर
तरफ से
कुचला जाता
है और
जब बरदाश्त
की सीमा
जब समाप्त
हो जाती
है ये
ही आत्महत्या
तक को
गले लगा
लेता है।
अन्नदाता व
किसान संगठनों
की आवाज
दबा दी
जाती है।
कहने तो
भारत कृषि
प्रधान देश
है मगर
क्या किसान
को अपने
उत्पादन का
लागत के
हिसाब से
कीमत लगाने
का अधिकार
है? बिल्कुल
नही।
लेकिन नासमझ लोगों की मानसिकता
इस पर
अमल नहीं
करेगी। हमारे
देश में
गरीबी रेखा
से नीचे
जीवन यापन
करने वाली
लगभग 40 प्रतिशत
जनता है
जिसमें किसान
व मजदूर
व गरीब
व बेसहारा
व मजलूम
हैं और
ये राजनीतिक
पार्टियों का वोट बैंक भी
हैं। इनको
झूठ, गुमराह,
नफरत में
लपेट कर
सत्ता पाई
जाती है।
यदि आंकडों
पर गौर
करें तो
पता चलता
है कि
15 प्रतिशत देश की जनता जागरूक
हैं जो
किसी भी
सरकार में
अपनी संपत्ति
को बढ़ाने
में कामयाब
रहते हैं।
जब कि
5 प्रतिशत लोगों के पास 70 प्रतिशत
देश की
संपत्ति है।
10 प्रतिशत लोगों के पास जरूरत
के हिसाब
से संपत्ति
है। 10 प्रतिश
जनता अपनी
जरूरत की
पूर्ति एक
दूसरे के
सहयोग से
करती है।
15 प्रतिशत जनता कर्ज़ संपत्ति के
सहारे अपनी
जीविका चलाती
है।ं 5 प्रतिशत
जनता किसी
से कर्ज
लेकर नहीं
देना या
लोगों को
गुमराह झूठ
का सहारा
लेकर अपना
जीवन यापन
करती है।
40 प्रतिशत देश की जनता अपनी
ईमानदारी और
आशा को
निराशा में
देखकर 24 घंटे
अपने दर्द
की आवाज
को छुपा
कर अपने
अधिकार से
वंचित जाति
धर्म विशेष
की भूल
भुलैया में
बर्बादी के
किनारे को
पकड़कर अपनी
नैया को
पार लगाने
की कोशिश
करती है।
जिसको कई
कारणों का
अनुमान लगाकर
घृणा की
दृष्टि से
देखा जाता
है। अगर
यह 40 प्रतिशत
देश का
गरीब मजदूर
बेसहारा मजलूम
संपन्न और
जागरूक हो
जाए तो
हमारा यह
देश फिर
से सोने
की चिड़िया
कहा जाएगा। इसके लिए सहनशीलता
इंसानियत मान
मर्यादा भारतीय
संस्कृति संविधान
का सम्मान
पालन होना
जरूरी है।
देश की
बर्बादी के
लिए जाति
धर्म की
द्वेष भावना
सबसे बड़ा
मुख्य कारण
है, इसको
समाप्त करना
जरूरी हैं।
सामाजिक सरमस्ता,
उच्च विचार
कानून के
साथ जोड़ना
चाहिए
कर्म भूमि, जन्म भूमि, उपजाऊ
भूमि के
अंतर को
लोकप्रिय इंसानों
में देखना
जरूरी है।
किसी भी
चीज का
नशा इंसान
को बर्बाद
कर देता
है, शराब
के नशे
में घर
परिवार उजड़
गए। डीजल
पेट्रोल की
मूल्य वृद्धि
से किसान
मजदूर गरीब
का ज्यादा
नुकसान होगा।
खेत में
किसान सीमा
पर जवान
भारत देश
की यही
है मुख्य
पहचान,
सच्चाई की आवाज भारत के
हर कोनो
में जानी
चाहिए।
लेखकः- चौधरी शौकत
अली चेची
भारतीय किसान
यूनियन ’’बलराज’’
प्रदेश अध्यक्ष
हैं।