सत्ता में बैठे किसान नेता इस्तीफा देंगे या किसानों पर कानूनी कार्रवाई होगी या किसानों को संतुष्ट किया जाएगा या किसानों को अंधेरे में रखा जाएगा!
चौधरी शौकत अली चेची
-------------------------- किसान कृषि बिल
पर गतिरोध बरकरार देश में चल रही है मोदी सरकार किसानों की बात आर या पार। काले
कानून के विरोध में आंदोलन में करीब 125 तक किसान शहीद हो चुके हैं वहीं दसवें
दौर की बैठक में लगभग डेढ़ साल के लिए कृषि बिल पर रोक लगाने का राग अभी सरकार अलाप
रही है। 26 जनवरी पर ट्रैक्टर परेड को रोकने की भी भरपूर कोशिश सरकार के स्तर
से की जाएगी। वैसे तिरंगा झंडा लेकर शांति प्रिय ढंग से संदेश देना या खुशी मनाना
आजाद में कोई बुराई है क्या? मंत्रियों के दौरे के समय क्या रूट
डायवर्ट नही जाते हैं। आजाद भारत में यदि किसान अधिकारपूवर्क परेड नही कर सकते हैं
तो फिर काहे की आजादी है। कृषि बिल समाप्त करने पर केंद्र के दूसरे और कानूनों पर
भी रद्द करने का आंदोलन खड़ा हो सकता है शायद उसका डर नरेंद्र मोदी सरकार को सता
रहा है। अन्नदाता के आंदोलन को तोड़ने के लिए बहुत से प्रोपेगेंडा चलाए गए हैं।
कृषि कानून किसानों के साथ देश की लगभग 80 प्रतिशत जनता को परेशानी में डालेगा।
नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन आदि बातों को विपक्षी पार्टियों द्वारा देश के
सामने लाने की जरूरत है। किसान आंदोलन को दबाने के लिए विपक्षी पार्टियों पर भाजपा
का आरोप लगाना दूर दृष्टि का संकेत है पिछले 7 सालों से
बीजेपी ने देश को लगभग 25 साल पीछे धकेल दिया। भाजपा के वादे और
इरादे केवल भाषणों में कागजों में सिमट कर रह गए। चुनाव प्रचार के नाम पर बंगाल
में तांडव हो रहा है। चीन अरुणाचल पर नापाक नजर गडाए हुए है, इसमें
सरकार को मुंहतोड जवाब देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी चीन का नाम लेने तक
से कतरा रहे हैं। टीवी एंकर की चैट को दबाने के लिए तांडव फिल्म पर तांडव हो रहा
है। समझना होगा सेंसर बोर्ड किसके अधीन आता है कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। फिल्मी
दुनिया, राजनीतिक पार्टियां, औलिया पैगंबर, देवी देवता,
महापुरुष,
शूरवीर,
अवतारों
को अपने निजी फायदे के लिए जनता के बीच में लाकर खड़ा कर दिया जाता है, जो
सबसे बड़ा पाप है जिनको अपने घर परिवार के बारे में जानकारी नहीं होती वह
बुद्धिजीवी बनकर दूसरों का सहारा लेकर लोकप्रियता चमकाने के लिए फायदे और नुकसान
बताते हैं। जनता गुमराह की भूल भुलैया में खो जाती हैं लेकिन धन्यवाद किसानों का
जो ईमानदारी के साथ सच्चाई को लेकर देश की 80 प्रतिशत जनता
की भलाई में खड़े है और भाजपा सरकार को पूरी तरह से बैकफुट पर ला दिया है। ईवीएम
मशीन, गोदी मीडिया और पूंजीपति मित्र इनके सहारे सत्ता में बैठे लोग अपने
आप को चारों तरफ से घिरा महसूस कर रहे हैं, आगे आने वाला
समय क्या गुल खिलाएगा, देखना बाकी है? सत्ता में बैठे
किसान नेता इस्तीफा देंगे या किसानों पर कानूनी कार्रवाई होगी या किसानों को
संतुष्ट किया जाएगा या किसानों को अंधेरे में रखा जाएगा इन सब बातों का इम्तिहान
होना अभी बाकी है। जय जवान, जय किसान, जय संविधान,
एकता
महानता, भारत का सम्मान।
लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।